वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक छत्तीसगढ़ की सीमावर्ती क्षेत्र बैढ़न रेंज के गोभा, उर्ती व बरहपान इलाके में हाथियों के आने की संभावना अधिक है। मकरोहर रेंज में मयार नदी पड़ने से हाथी नहीं आ पाते हैं, लेकिन गर्मी के सीजन में पानी कम होने से संभावना इस रास्ते से प्रवेश की भी बन रही है। इसलिए यहां भी अमला सतर्क है।
बैढ़न एसडीओ एसडी सोनवानी का कहना है कि यहां अब तक के रिकॉर्ड के मुताबिक खरीफ में ही हाथियों का झुंड आया है। शहडोल में पहुंचे हाथी इधर भी रुख करते हैं, लेकिन संजय टाइगर रिजर्व से ही लौट जाते हैं। फिलहाल अमले को सतर्क किया गया है। कोविड से पहले यहां भी दो बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं। सुरक्षा और सतर्कता जरूरी है। गौरतलब है कि हाथियों के दो हमले में एक ग्रामीण और एक वनकर्मी की मौत हो चुकी है।
वही शहडोल संभाग में जंगली हाथियों का उत्पात थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक झुण्ड का जयसिंहनगर के बाद अब सोन नदी होते हुए बांधवगढ़ की ओर मूवमेंट है। तो दूसरे झुण्ड का पथखई पहाड़ी के नीचे खैरहा सांरगपुर में उत्पात जारी है। छत्तीसगढ़ से अनूपपुर बेनीबारी के रास्ते शहडोल के सिंहपुर बुढ़ार क्षेत्र में पहुंचे जंगली हाथियों का झुण्ड चार दिन से सारंगपुर क्षेत्र में डेरा जमाया हुआ है।
जानकारी के अनुसार हाथियों का झुण्ड सारंगपुर उर्स मैदान के आगे डोंगरी वार्ड क्रमांक 14 में गन्ना और टमाटर के बगीचे में घुस गया। यहां पर आंगन में सो रहे वृद्ध तक हाथी का झुण्ड पहुंच गया था। इस दौरान दो हाथी बगीचे की ओर पहुंच गए और एक हाथी घर की ओर आगे बढ़ रहा था तभी भैंस सामने से आकर भिडऩा शुरू कर दी। बाद में वृद्ध किसी तरह जान बचाकर भागा।