ऊर्जाधानी में बच्चों की सेहत अच्छी नहीं है। आंकड़ों पर नजर डालें तो महिला बाल विकास विभाग के रिकार्ड में बौनापन का शिकार हुए करीब डेढ़ सौ से अधिक बच्चे दर्ज हैं। कुपोषण तो था ही, अब नई समस्या के रूप में बौनापन ने पैर पैसारे हैं। बच्चे दुबले-पतले, कमजोर हो रहे हैं। बच्चों के विकास में बौनापन बाधा बन रहा है। इसके कई वजह है, इसमें प्रमुख वजह प्रदूषण भी माना जा रहा है।
आदिवासी क्षेत्रों में बनी है समस्या
बतादें कि जिला आदिवासी बाहूल्य क्षेत्र है। अक्सर ये समस्या आदिवासी अंचलों में ज्यादातर देखने को मिलती है लेकिन इसके साथ ही कोल एरिया के आसपास संचालित मलीन बस्तियों में भी बौनापन ने पांव पसार लिया है। इसके बावजूद इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। कम उम्र में शादी, पर्याप्त पौष्टिक आहार नहीं मिलना आदि। ऐसी माताओं के शिशु बौनेपन की चपेट में हैं।
बतादें कि जिला आदिवासी बाहूल्य क्षेत्र है। अक्सर ये समस्या आदिवासी अंचलों में ज्यादातर देखने को मिलती है लेकिन इसके साथ ही कोल एरिया के आसपास संचालित मलीन बस्तियों में भी बौनापन ने पांव पसार लिया है। इसके बावजूद इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। कम उम्र में शादी, पर्याप्त पौष्टिक आहार नहीं मिलना आदि। ऐसी माताओं के शिशु बौनेपन की चपेट में हैं।
ऐेसे करें पहचान
जब बल्यावस्था में बच्चों के विकास की गति और लक्षणों से की जा सकती है लेकिन जब बच्चों की लंबाई उम्र के अनुसार न होकर बहुत ही धीमी गति से होता है तब उनमें बौनेपन के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इसकी पहचान करने के लिए डॉक्टर का सलाह लेकर जांच करानी चाहिए। यदि इसमें कमीं पाई जाती है तो इसका उपचार कराना चाहिए।
जब बल्यावस्था में बच्चों के विकास की गति और लक्षणों से की जा सकती है लेकिन जब बच्चों की लंबाई उम्र के अनुसार न होकर बहुत ही धीमी गति से होता है तब उनमें बौनेपन के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इसकी पहचान करने के लिए डॉक्टर का सलाह लेकर जांच करानी चाहिए। यदि इसमें कमीं पाई जाती है तो इसका उपचार कराना चाहिए।
ये हैं प्रमुख कारण
– गर्भ में शिशु के बीमार पडऩे पर
– जन्म के बाद बार-बार बीमार होना
– खान-पान में कमीं
– जेनेटिक(परिवारिक)
– सूखा रोग
– न्यूट्रिशन
– कुपोषण क्या कहते हैं आंकड़ें
विकासखंड बौनेपन बच्चों की संख्या
बैढऩ 52
चितरंगी 63
देवसर 48
– गर्भ में शिशु के बीमार पडऩे पर
– जन्म के बाद बार-बार बीमार होना
– खान-पान में कमीं
– जेनेटिक(परिवारिक)
– सूखा रोग
– न्यूट्रिशन
– कुपोषण क्या कहते हैं आंकड़ें
विकासखंड बौनेपन बच्चों की संख्या
बैढऩ 52
चितरंगी 63
देवसर 48