कलेक्टर का आदेश दरकिनार कर पुलिस की ओर से कोल वाहनों को खूली छूट दे दी गई है। ठीक बगल में स्थित आरटीओ की ओर सभी वाहनों के परिवहन को रोकने के लिए कोई खास सक्रियता नहीं दिख रही है। यही वजह है कि ट्रांसपोर्टर बेखौफ होकर शहर से कोयला परिवहन कर रहे हैं।उन्हें रोकने के लिए कोई हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। बताया जा रहा है कि रात की पहरेदारी पुलिस के भरोसे रहती है, कोयला वाहनों को शहर से जाने की अनुमति पुलिस ने दी है। इसका वजह है कि रात में पुलिस के अलावा कोई आला अफसर देखने नहीं आते। जिससे कोल वाहन अक्सर रात में शहर से होकर गुजरते हैं।
जानकारी के लिए बताते चलेंकि पहले पुलिस अधिकारी यह कहकर सफाई देते रहे कि अमलोरी खदान से कोल वाहनों को शहर से जाने के लिए छूट दी गई है लेकिन जब कलेक्टर केवीएस चौधरी ने कोल वाहनों को शहरी क्षेत्र से जाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबंध कर दिया तो पुलिस अधिकारियों की झूठी सफाई किसी काम की नहीं रही। अब कोल वाहनों को शहर से निकालने के जुगाढ़ में पुलिस अधिकारी हाथ पांव मार रहे हैं। कलेक्टर की ओर प्रतिबंध का आदेश जारी होने के बाद विंध्यनगर थाने में इसको लेकर रणनीति भी बनाई गई थी।
जिला प्रशासन को दिखानी होगी सख्ती
जानकारी के लिए बताते चलेंकि कोयला परिवहन कर रहे वाहनों की पड़ताल हर रोज जिला प्रशासन की टीम को देर रात करनी होगी। तब जाकर प्रतिबंधित रूट से कोयला परिवहन पर शायद रोक लग पाएगा। शहरी क्षेत्र से कोयला परिवहन प्रतिबंधित करने पर पुलिस अधिकारियों को बड़ा सदमा पहुंचा है क्योंकि ट्रेलर वाहनों को शहर से जाने के लिए पुलिस का संरक्षण मिला था। प्रतिबंध के बाद इन्हें शहर से जाने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है।
जानकारी के लिए बताते चलेंकि कोयला परिवहन कर रहे वाहनों की पड़ताल हर रोज जिला प्रशासन की टीम को देर रात करनी होगी। तब जाकर प्रतिबंधित रूट से कोयला परिवहन पर शायद रोक लग पाएगा। शहरी क्षेत्र से कोयला परिवहन प्रतिबंधित करने पर पुलिस अधिकारियों को बड़ा सदमा पहुंचा है क्योंकि ट्रेलर वाहनों को शहर से जाने के लिए पुलिस का संरक्षण मिला था। प्रतिबंध के बाद इन्हें शहर से जाने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है।
आखिर क्यों चुप हैं पुलिस के आला अधिकारी
ठीक माजन मोड़ पर ही यातायात पुलिस का थाना है। इसके बावजूद रात में कोल परिवहन वहां से जारी है। हैरत की बात यह है कि पुलिस के आला अधिकारी इस मामले में चुप हैं।आखिर इसकी क्या वजह है। यह एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है। चर्चाओं की माने तो यातायात पुलिस भी आला अधिकारियों की खामोशी और दबाव के चलते परिवहन के समय थाने में बैठी रहती है।बाहर निकलकर वाहनों को रोकने और कार्रवाईकरने की हिम्मत पुलिस का मैदानी अमला नहीं जुटा पा रहा है।
ठीक माजन मोड़ पर ही यातायात पुलिस का थाना है। इसके बावजूद रात में कोल परिवहन वहां से जारी है। हैरत की बात यह है कि पुलिस के आला अधिकारी इस मामले में चुप हैं।आखिर इसकी क्या वजह है। यह एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है। चर्चाओं की माने तो यातायात पुलिस भी आला अधिकारियों की खामोशी और दबाव के चलते परिवहन के समय थाने में बैठी रहती है।बाहर निकलकर वाहनों को रोकने और कार्रवाईकरने की हिम्मत पुलिस का मैदानी अमला नहीं जुटा पा रहा है।