अधिकारियों के मुताबिक वैसे तो इस योजना से पशुपालकों को बड़ी राहत मिलेगी, लेकिन चिकित्सकों की कमी के चलते अबाध सेवा दे पाना थोड़ा मुश्किल होगा। स्वीकृत 20 पदों के सापेक्ष वर्तमान में जिले में केवल 6 चिकित्सक पदस्थ हैं। इनमें से दो महिला चिकित्सक लंबे समय से मातृत्व अवकाश पर हैं। जाहिर सी बात है कि ऐसे में पशुपालकों को समय पर सेवा दे पाना मुमकिन नहीं होगा। गौरतलब है कि जिले में कुल 15 पशु चिकित्सालय हैं। इसके अलावा 21 पशु औषधालय, 10 पशु उपकेंद्र व एक सामान्य केंद्र है।
जिले के मवेशियों की संख्या ढाई लाख से अधिक है। गौवंश की संख्या सवा लाख, भैंस वंश की संख्या 40 हजार और बकरी वंश की संख्या 80 हजार से अधिक बताई जा रही है। इसके अलावा अन्य मवेशी भी हैं। इन सबके लिए अधिक चिकित्सकों की आवश्यकता है। अधिकारियों का कहना है कि जिले में नियुक्त 6 चिकित्सक एंबुलेंस पर ही रहेंगे। कोई चिकित्सक अवकाश पर गया तो एंबुलेंस सुविधा चिकित्सकविहीन हो जाएगी। इसके अलावा अस्पताल में भी चिकित्सक की मौजूदगी जरूरी होती है।
06 पशु चिकित्सक पदस्थ
20 चिकित्सक के पद स्वीकृत
15 पशु चिकित्सालय
21 पशु औषधालय
10 पशु उप केंद्र
2.5 लाख मवेशी जिले में सेवा के लिए करना होगा भुगतान
पशुपालकों को घर पर सेवा लेने के लिए 150 रुपए का भुगतान करना होगा। यह शुल्क केवल इसलिए निर्धारित किया गया है। ताकि सेवा का कोई अनुचित प्रयोग न करे। सेवा नि:शुल्क होने पर एंबुलेंस टीम को बेवजह भी परेशान किया जा सकता है। शुल्क का भुगतान चिकित्सक सहित टीम के पहुंचने पर करना होगा।
बीमार होने पर छोड़ देते हैं ऐरा
केंद्र सरकार की योजना के तहत एंबुलेंस सेवा एक अप्रेल से शुरू की जानी है। इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई है। कुछ वर्ष पहले योजना को शुरू किया जाना था, लेकिन अपरिहार्य से शासन स्तर पर ही लंबित हो गया था। इससे खासतौर पर ग्रामीणों को राहत मिलेगी। गांवों में हर घर मवेशी होते हैं और बीमार पड़ने पर तमाम तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है। आमतौर पर देखने को मिलता है कि मवेशी बीमार हुए तो इलाज के अभाव में उनकी मौत हो जाती है। क्योंकि बहुत कम पशुपालक चिकित्सकों की मदद लेते हैं। आज भी मवेशियों के बीमार होने पर पशुपालक देसी व घरेलू इलाज ही करते हैं। बीमार मवेशी ठीक नहीं हुआ या फिर अनुपयोगी हो गया तो उसे ऐरा छोड़ दिया जाता है। शहर से लेकर गांव तक ऐसा मवेशियों को बड़ी संख्या में देखा जा सकता है। इससे कई तरह की समस्या होती है। योजना शुरू होने पर इन सभी समस्याओं से राहत मिलेगी।
– डॉ. एमपी गौतम, संचालक पशु चिकित्सा विभाग।