जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों पर बिजली कनेक्शन नहीं होने के कारण यहां पर बच्चों को पंखें की हवा के लिए परेशानियां उठानी पड़ेगी। आखिर इस तरह यहां पर आने वाले बच्चे पसीने में तर होकर अपना विकास करेंगे। यह बात अधिकारियों के समझ से परे है। इस बार भीषण गर्मी में बच्चों को बगैर पंखों के दिन निकालने पड़ेंगे। अब जब भी कोई अधिकारी आंगनवाड़ी मे निरीक्षण के आता है तो उनसे सिर्फ केंद्र पर पंखे लगाने की ही गुजारिश की जाती है। बिजली कनेक्शन के अभाव में जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंखे नहीं लगे हैं। ऐसे में इतनी गर्मी में नौनिहालों का केंद्र पर बैठना भी मुश्किल होगा। इस संबंध में न तो संबंधित विभाग कोई प्रयास कर रहा है और न ही प्रशासन की ओर से इस दिशा मे कोई उचित प्रयास किए जा रहे हैं।
बिजली न पंखे फिर भी दया नहीं आती
विभाग के अधिकारियों के मुताबिक जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों में बिजली की सुविधा नहीं है। बताया जाता है कि जिले में कुल 1550 आंगनबाड़ी केंद्र हैं जिसमें ये सभी केंद्र विद्युत विहीन हैं। भीषण गर्मी में इस तरह की स्थिति रहेगी तो बच्चों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। सबसे बड़ी बात यह है कि गर्मी के दिनों में बच्चों को सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक केंद्र बुलाया जाता है। इस बीच तेज गर्मी व चिलचिलाती धूप से बच्चे केंद्र में रहते हैं।
विभाग के अधिकारियों के मुताबिक जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों में बिजली की सुविधा नहीं है। बताया जाता है कि जिले में कुल 1550 आंगनबाड़ी केंद्र हैं जिसमें ये सभी केंद्र विद्युत विहीन हैं। भीषण गर्मी में इस तरह की स्थिति रहेगी तो बच्चों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। सबसे बड़ी बात यह है कि गर्मी के दिनों में बच्चों को सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक केंद्र बुलाया जाता है। इस बीच तेज गर्मी व चिलचिलाती धूप से बच्चे केंद्र में रहते हैं।
व्यवस्था में बिजली का प्रावधान ही नहीं
पड़ताल में यह बात निकलकर सामने आई है कि मासूम बच्चों के लिए संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों पर बिजली का प्रावधान व्यवस्था में ही नहीं है। विभाग का कहना है कि यदि कनेक्शन भी ले लेंगे तो बिल कौन भरेगा। बिजली जिले के किसी आंगनबाड़ी केंद्रों में नहीं है। अब विभाग की ओर से केन्द्रों में बिजली पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। वह भी वहीं संभव हो पाएगी जहां आंगनबाड़ी केंद्र स्कूल भवन परिसर में होगा, क्योंकि यदि दूर हुआ तो एक बल्व पंखे के लिए अधोसंरचना जुटाना मुश्किल होगा।
पड़ताल में यह बात निकलकर सामने आई है कि मासूम बच्चों के लिए संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों पर बिजली का प्रावधान व्यवस्था में ही नहीं है। विभाग का कहना है कि यदि कनेक्शन भी ले लेंगे तो बिल कौन भरेगा। बिजली जिले के किसी आंगनबाड़ी केंद्रों में नहीं है। अब विभाग की ओर से केन्द्रों में बिजली पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। वह भी वहीं संभव हो पाएगी जहां आंगनबाड़ी केंद्र स्कूल भवन परिसर में होगा, क्योंकि यदि दूर हुआ तो एक बल्व पंखे के लिए अधोसंरचना जुटाना मुश्किल होगा।
पेयजल के लिए भी आश्रित
जिले के 1550 आंगनबाड़ी केंद्रों में से कुछ केंद्र सार्वजनिक हैंडपंप के सहारे चल रहे हैं। जैसे ही हैंडपंप दम तोड़ देते हैं इन केंद्रों पर पानी भी नहीं मिल पाता है। ग्रामीण अंचल के दर्जनभर आंगनबाड़ी केंद्र गांव के कुओं पर आश्रित हैं जो की छोटे बच्चों के लिए हादसे की आशंका को जन्म देते हैं। विभाग के अधिकारियों का दावा है कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर हैंडपंप के जरिए पीने का पानी मिल रहा है। जबकि हकीकत यह है कि 70 फीसदी आंगनवाड़ी केन्द्रों पर पानी की कोई व्यवस्था नहीं है।
जिले के 1550 आंगनबाड़ी केंद्रों में से कुछ केंद्र सार्वजनिक हैंडपंप के सहारे चल रहे हैं। जैसे ही हैंडपंप दम तोड़ देते हैं इन केंद्रों पर पानी भी नहीं मिल पाता है। ग्रामीण अंचल के दर्जनभर आंगनबाड़ी केंद्र गांव के कुओं पर आश्रित हैं जो की छोटे बच्चों के लिए हादसे की आशंका को जन्म देते हैं। विभाग के अधिकारियों का दावा है कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर हैंडपंप के जरिए पीने का पानी मिल रहा है। जबकि हकीकत यह है कि 70 फीसदी आंगनवाड़ी केन्द्रों पर पानी की कोई व्यवस्था नहीं है।
फैक्ट फाइल:-
जिले में आंगनबाड़ी केंद्र – 1550
बच्चों की संख्या – 1.47 लाख
जिले में कुल सेक्टर – 56
जिले में परियोजनाओं की संख्या – 06 वर्जन:-
यह सही है कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर बिजली व्यवस्था नहीं है। विभाग में बिजली व्यवस्था के लिए कोई बजट नहीं होता है। अभी हाल ही में भोपाल में एक बैठक के दौरान केंद्रों में बिजली कनेक्शन कराने की मांग की गई है।
सुमन वर्मा, जिला कार्यक्रम व महिला एवं बाल विकास अधिकारी।
जिले में आंगनबाड़ी केंद्र – 1550
बच्चों की संख्या – 1.47 लाख
जिले में कुल सेक्टर – 56
जिले में परियोजनाओं की संख्या – 06 वर्जन:-
यह सही है कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर बिजली व्यवस्था नहीं है। विभाग में बिजली व्यवस्था के लिए कोई बजट नहीं होता है। अभी हाल ही में भोपाल में एक बैठक के दौरान केंद्रों में बिजली कनेक्शन कराने की मांग की गई है।
सुमन वर्मा, जिला कार्यक्रम व महिला एवं बाल विकास अधिकारी।