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सिंगरौली में मिली कलचुरी काल की हजार साल पुरानी चतुर्भुजी प्रतिमा

locationसिंगरौलीPublished: Jul 30, 2018 12:45:17 pm

Submitted by:

Vedmani Dwivedi

भगवान विष्णु की चतुर्भुजी प्रतिमा से कौतुहल, दो हाथ खंडित, एक में लिए हैं शंख, प्रशासन ने मूर्ति सुरक्षित रखवाया

Appeared Ancient statue of Lord Vishnu

Appeared Ancient statue of Lord Vishnu

सिंगरौली. 7वीं – 8वीं सदी की गुफाओं के लिए प्रसिद्ध सिंगरौली रविवार को एक बार फिर सुर्खियों में आ गया। माडा से करीब 20 किमी. दूर नगवां गांव में कलचुरी काल की हजार साल प्राचीन मूर्ति मिली है। रविवार सुबह ग्रामीणों ने रास्ता खुदाई के दौरान मूर्ति देखी। पुरातत्वविदों के अनुसार, मूर्ति भगवान विष्णु की है। मूर्ति में चार हाथ हैं। जिसमें से दो हाथ का ज्यादातर हिस्सा खंडित है। एक हाथ में शंख है।

इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि मूर्ति भगवान विष्णु की है। भगवान विष्णु की प्रतिमा मिलने से नगवां गांव एवं आस के लोगों में खुशी का माहौल है। नगवां – बधौरा सहित आस – पास के गांव से सैकड़ों लोग एकत्रित हो गए। गांव के प्रमुख लोग भी मौके पर पहुंचे। सूचना प्रशासन को दी गई। जिसके बाद व्यवस्था बनाने के लिए बंधौरा चौकी से पुलिस भी वहां पहुंच गई।

मूर्ति को सावधानी पूर्वक निकाल लिया गया है। जहां पर मूर्ति मिली है वहीं पर चारों और से घेरा बनाकर उसे रखा गया है। प्रशासन मूर्ति को सुरक्षित रखवाने की व्यवस्था कर रहा है।

उल्लेखनीय है कि जिले का माडा क्षेत्र प्राकृतिक धरोहरों के लिए जाना जाता है। प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक हैं। यहां कई प्रकार की प्राचीन गुफाएं हैं।

भगवान शिव का है मंदिर
जहां पर खुदाई हो रही थी वहीं पर समीप में भगवान शिव का मंदिर भी है। सावन का महीना चल रहा है। ऐसे में लोग भगवान शिव की भक्ति में डूबे हुए हैं। मंदिर के समीप मूर्ति मिलने को लोग भगवान की कृपा मान रहे हैं। उनका विश्वास है कि गांव में खुशहाली आएगी। सभी लोग मूर्ति का आर्शीवाद ले रहे हैं।

पहले भी मिली हैं मूर्ति
बंधोरा सरपंच आशीष शुक्ला ने बताया कि पहले भी यहां आस – पास के क्षेत्रों में प्राचीन मूर्ति खुदाई के दौरान मिली हैं। पुरातत्व विभाग की उचित व्यवस्था एवं पुरातत्वविद नहीं होने की वजह से उन्हें सुरक्षित रखने एवं सहेजने में मुश्किल होती है। प्रशासन भी लापरवाही करता है। कृष्ण कुमार पाण्डेय ने कहा कि जिले में पुरातत्व विभाग का कार्यालय होना चाहिए। जिससे जिले में प्राचीन इतिहास, सभ्यता को सहेजा जा सके। खुदाई के दौरान मौके पर भोले जायसवाल, अजीत कुमार पाण्डेय, रामनरेश यादव सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।

पुरातत्वविद करेंगे अध्ययन
मूर्ति मिलने की सूचना से अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय का पुरातत्व विभाग भी सक्रीय हो गया है। मूर्ति के संबंध में उनके द्वारा जानकारी जुटाई जा रही है। मूर्ति को अपने पुरातत्व विभाग में सहेजने का प्रयास भी विश्वविद्यालय कर सकता है। एपीएसयू में विंध्य क्षेत्र के कई ऐतिहिसिक धरोहरों को सहेज कर रखा गया है।

वर्जन
कलचुरी काल की हजार साल पुरानी प्रतिमा प्रतीत हो रही है। मूर्तियों की पहचान हाथ में ली गई सामग्री या फिर वाहन से होती है। मूर्ति में चार हाथ हैं। जिसमें दो हाथ का ज्यादातर हिस्सा खंडित है। एक हाथ में शंख है। जिसकी वजह से यह विष्णु की प्रतिमा हो सकती है।
प्रो. महेश श्रीवास्तव, विभागाध्यक्ष प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग, एपीएसयू

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