चिकित्सकों की राय है कि मास्क भले ही कोरोना से बचाव की तत्कालिक जरूरत है, मगर इसके दूसरे लाभ भी मिल रहे हैं। इसके दृष्टिगत ही चिकित्सक मास्क को लेकर सकारात्मक नजरिया अपनाने का सुझाव देते हैं। सामने आया कि सितंबर व अक्टूबर माह में पिछले वर्षों में जिला चिकित्सालय में एलर्जी के रोगी बड़ी संख्या में आते रहे हैं।
इस बार काफी समय से मास्क का उपयोग होने के कारण एलर्जी रोगियों की संख्या घटी है। यह मास्क का दूसरा बड़ा लाभ सामने आया है। बैढऩ स्थित जिला चिकित्सालय के डॉ. राहुल पाठक मानते हैं कि मास्क का उपयोग होने के कारण इस बार सितंबर-अक्टूबर में चिकित्सालय आने वाले एलर्जी रोगियों की संख्या आश्चर्यजनक रूप से घटी है। इसे देखते हुए वे कोरोना काल के बाद भी मास्क को अपनी दिनचर्या में शामिल करने का आग्रह करते हैं।
मास्क के उपयोग से एलर्जी व श्वास रोगों का भी बचाव होने को डॉ. पाठक अच्छा संकेत बताते हैं। उन्होंने कहा कि सिंगरौली जैसे खतरनाक प्रदूषण वाले क्षेत्र में लोगों को घर से बाहर निकलते समय मास्क के उपयोग को अपनी आदत बना लेनी चाहिए। इसका उनको लंबे समय तक खूब लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि बीते वर्षों में मौसम बदलने के कारण सितंबर व अक्टूबर माह में जिला चिकित्सालय में एलर्जी रोगियों की संख्या काफी रहती थी।
मास्क के उपयोग से एलर्जी व श्वास रोगों का भी बचाव होने को डॉ. पाठक अच्छा संकेत बताते हैं। उन्होंने कहा कि सिंगरौली जैसे खतरनाक प्रदूषण वाले क्षेत्र में लोगों को घर से बाहर निकलते समय मास्क के उपयोग को अपनी आदत बना लेनी चाहिए। इसका उनको लंबे समय तक खूब लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि बीते वर्षों में मौसम बदलने के कारण सितंबर व अक्टूबर माह में जिला चिकित्सालय में एलर्जी रोगियों की संख्या काफी रहती थी।
मगर इस बार लोगों की ओर से मास्क का उपयोग किए जाने के कारण इन दो माह में एलर्जी व श्वास के रोगियों की संख्या 20 से 30 प्रतिशत तक कम हुई है। यह सिंगरौली जैसे प्रदूषण वाले क्षेत्र में लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जीने का सकारात्मक संकेत है। इसलिए आज कोरोना से बचाव के लिए उपयोग हो रहे मास्क को लोग अपनी दिनचर्या में शामिल करेंगे तो वे लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जी सकेंगे।
इन लोगों से भी बचाव
डॉ. राहुल पाठक ने बताया कि कुछ माह से लगातार मास्क का उपयोग हो रहा है। इसका भविष्य में भी नियमित उपयोग कर लोग अस्थमा, टीबी व निमोनिया जैसे एलर्जी रोगों से खुद का बचाव कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि मास्क का नियमित उपयोग करने से निमोनिया, टीबी व अस्थमा का खतरा काफी कम हो जाता है। इसलिए उनका मत है कि लोगों को घर से बाहर निकलते समय मास्क का उपयोग करने को आदत बनाना चाहिए।
डॉ. राहुल पाठक ने बताया कि कुछ माह से लगातार मास्क का उपयोग हो रहा है। इसका भविष्य में भी नियमित उपयोग कर लोग अस्थमा, टीबी व निमोनिया जैसे एलर्जी रोगों से खुद का बचाव कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि मास्क का नियमित उपयोग करने से निमोनिया, टीबी व अस्थमा का खतरा काफी कम हो जाता है। इसलिए उनका मत है कि लोगों को घर से बाहर निकलते समय मास्क का उपयोग करने को आदत बनाना चाहिए।
नही बनाएं गलत धारणा
लंबे समय तक मास्क का उपयोग करने से व्यक्ति का श्वसन तंत्र कमजोर होने संबंधी धारणा को डॉ. राहुल पाठक गलत ठहराते हैं। उन्होंने कहा कि घर से बाहर मास्क का लंबे समय उपयोग के कारण श्वसन तंत्र कमजोर होने की धारणा सही नहीं है। उनका मत है कि लोगों को घर से बाहर रहने के दौरान अच्छी गुणवत्ता वाले मास्क का उपयोग करना चाहिए। वृद्धजन, बालक व महिलाओं को इस मामले में लापरवाही नहीं करनी चाहिए। ऐसा कर सिंगरौली के लोग चुनौतीपूर्ण वातावरण में भी लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
लंबे समय तक मास्क का उपयोग करने से व्यक्ति का श्वसन तंत्र कमजोर होने संबंधी धारणा को डॉ. राहुल पाठक गलत ठहराते हैं। उन्होंने कहा कि घर से बाहर मास्क का लंबे समय उपयोग के कारण श्वसन तंत्र कमजोर होने की धारणा सही नहीं है। उनका मत है कि लोगों को घर से बाहर रहने के दौरान अच्छी गुणवत्ता वाले मास्क का उपयोग करना चाहिए। वृद्धजन, बालक व महिलाओं को इस मामले में लापरवाही नहीं करनी चाहिए। ऐसा कर सिंगरौली के लोग चुनौतीपूर्ण वातावरण में भी लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।