जिला मुख्यालय बैढऩ के बलियरी मोहल्ला निवासी फूलमती अपनी बिना बाप की बच्ची के साथ जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र पहुंची थी। उन्होंने बताया कि रिया का दाहिना पैर जन्म से छोटा है। इससे वह कभी खड़ी नहीं हो सकी। केवल घुटनों के बल चलती है। केंद्र में कृत्रिम अंग मिलेगा।
इस उम्मीद से आई तो पहली बार रिया कृत्रिम अंग के सहारे खड़ी हो पाई। रिया के पिता राज की छह महीने पहले एक बीमरी में मौत हो गई है। फिलहाल रिया की तरह पिछले छह महीनों में 27 लोगों को कृत्रिम अंग मुहैया कराया गया। साथ ही उन्हें चलने का प्रशिक्षण दिया गया।
जयपुर से मंगाया जाता रहा है कृत्रिम अंग
जिले के दिव्यांगों के लिए अभी तक जयपुर से कृत्रिम अंग मंगा कर मुहैया कराया जाता रहा है। इसके लिए दिव्यांगों को कृत्रिम अंग की कीमत भी अदा करनी पड़ती थी, लेकिन अब रेडक्रॉस सोसायटी की मदद से संचालित जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र के जरिए दिव्यांगों को नि:शुल्क कृत्रिम अंग मुहैया कराते हुए प्रशिक्षित किया जा रहा है।
जिले के दिव्यांगों के लिए अभी तक जयपुर से कृत्रिम अंग मंगा कर मुहैया कराया जाता रहा है। इसके लिए दिव्यांगों को कृत्रिम अंग की कीमत भी अदा करनी पड़ती थी, लेकिन अब रेडक्रॉस सोसायटी की मदद से संचालित जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र के जरिए दिव्यांगों को नि:शुल्क कृत्रिम अंग मुहैया कराते हुए प्रशिक्षित किया जा रहा है।
6 सदस्यीय टीम दूर कर रही अक्षमता
खुद को अपंग और लाचार महसूस करने वाले दिव्यांगों की अक्षमता छह सदस्यीय टीम दूर कर रही हैं। मुकुल किशोर के नेतृत्व में कार्य कर रही टीम न केवल केंद्र में ही कृत्रिम अंग तैयार कर रही है। बल्कि दिव्यांगों को चलने के साथ स्पीच व फिजियोथिरैपी भी दे रही है। वैसे तो केंद्र पिछले वर्ष जुलाई से काम कर रहा है, लेकिन अब नतीजा मिलने लगा है।
खुद को अपंग और लाचार महसूस करने वाले दिव्यांगों की अक्षमता छह सदस्यीय टीम दूर कर रही हैं। मुकुल किशोर के नेतृत्व में कार्य कर रही टीम न केवल केंद्र में ही कृत्रिम अंग तैयार कर रही है। बल्कि दिव्यांगों को चलने के साथ स्पीच व फिजियोथिरैपी भी दे रही है। वैसे तो केंद्र पिछले वर्ष जुलाई से काम कर रहा है, लेकिन अब नतीजा मिलने लगा है।
सोसायटी से मिलती है आर्थिक मदद
पुनर्वास केंद्र में कृत्रिम अंग बनाने से लेकर दिव्यांगों को प्रशिक्षित करने सहित केंद्र के संचालन का खर्च रेडक्रॉस सोसायटी द्वारा उठाया जा रहा है। केंद्र की व्यवस्था बनाने में सोसायटी के कई पदाधिकारियों व सदस्यों ने भी आर्थिक मदद की है। जिससे कृत्रिम अंग बनाने की मशीनों व सामग्री का सहित अन्य जरूरतों का प्रबंध हो पाता है।
पुनर्वास केंद्र में कृत्रिम अंग बनाने से लेकर दिव्यांगों को प्रशिक्षित करने सहित केंद्र के संचालन का खर्च रेडक्रॉस सोसायटी द्वारा उठाया जा रहा है। केंद्र की व्यवस्था बनाने में सोसायटी के कई पदाधिकारियों व सदस्यों ने भी आर्थिक मदद की है। जिससे कृत्रिम अंग बनाने की मशीनों व सामग्री का सहित अन्य जरूरतों का प्रबंध हो पाता है।