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स्वास्थ्य केंद्रों में पैरामेडिकल स्टॉफ के भरोसे इलाज, जानिए क्या है वजह

locationसिंगरौलीPublished: Mar 03, 2021 07:38:54 pm

Submitted by:

Amit Pandey

केंद्रों में ज्यादातर समय चिकित्सक रहते हैं नदारद….

Attempts to refer to Singrauli district hospital

Attempts to refer to Singrauli district hospital

सिंगरौली. साहब, बरगवां स्वास्थ्य केन्द्र से जिला अस्पताल के लिए रेफर किए हैं। बीते एक सप्ताह से स्वास्थ्य ठीक नहीं है। इलाज के लिए स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचे तो यहां पैरामेडिकल स्टॉफ के भरोसे इलाज किया गया। तबीयत में सुधार नहीं होने के कारण स्टॉफ ने जिला अस्पताल रेफर कर दिया। फुलवारी निवासी बुखार से पीडि़त मरीज रामप्रसाद सिंह गोंड़ के परिजनों ने बताया कि स्वास्थ्य केन्द्रों से चिकित्सक नदारद रहते हैं। नर्सों के भरोसे इलाज की व्यवस्था रहती है। स्वास्थ्य केन्द्रों में इलाज के लिए पहुंच रहे मरीजों को रेफर करने की कोशिश रहती है क्योंकि बिना चिकित्सक इलाज संभव नहीं है। स्वास्थ्य केन्द्रों में कोई महिला डॉक्टर पदस्थ नहीं हैं।
महिला डॉक्टर पदस्थ नहीं होने के कारण प्रसूताओं को सही उपचार नहीं मिल पाता है। इसके अलावा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बीमारी की जांच के लिए मशीनें भी उपलब्ध नहीं हैं। जिले के प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केेंन्द्रों में सुविधाओं में कोई इजाफा नहीं होने से सौगात कागजी साबित हो रही है। इमरजेंसी से लेकर ओपीडी के संचालन तक का जिम्मा नर्सों पर है। पैरामेडिकल स्टाफ की भी कमी बनी हुई है। ऐसे में अस्पताल भवन पर प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लिखकर स्वास्थ्य विभाग संसाधनों के नाम पर मोटा बजट खर्च कर रहा है लेकिन इसकी तुलना में मरीजों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही है।

इसलिए झोलाछाप से कराते हैं इलाज
मरीज के परिजनों ने बताया है कि जब ग्रामीण अंचल में संचालित स्वास्थ्य केंन्द्रों में बेहतर इलाज मुहैया नहीं होता है तब मजबूरी में मरीज स्थानीय झोलाछाप चिकित्सकों से इलाज कराते हैं। यदि स्वास्थ्य केन्द्रों में समय पर इलाज मुहैया हो जाता तो झोलाछाप से इलाज नहीं कराते। यही वजह है कि झोलाछाप चिकित्सक भी मरीजों को लूटते हैं। स्थिति गंभीर होने पर झोलाछाप डॉक्टर भी रेफर कर देते हैं। इससे मरीजों की जान पर बन आती है।

पोषण पुनर्वास भी चिकित्सक विहीन
जिले के देवसर, सरई, चितरंगी के स्वास्थ्य केन्द्रों में पोषण पुनर्वास केंद्र भी संचालित हो रहा है। यहां भर्ती बच्चों के स्वास्थ परीक्षण के लिए शिशु रोग विशेषज्ञ जरूरी हैं लेकिन यहां शिशु रोग विशेषज्ञ शुरू से नहीं हैं। जबकि शिशु रोग विशेषज्ञ की देखरेख में पोषण पुनर्वास केंद्र चलना चाहिए।

अस्पताल में स्टाफ का अभाव
स्वास्थ्य केंद्र के लिए निर्धारित चिकित्सक और स्टाफ की तुलना में यहां स्टाफ की कमीं है। स्वास्थ्य केन्द्रों में दो चिकित्सा अधिकारी, स्त्री रोग विशेषज्ञ, शिशुरोग विशेषज्ञ सहित चिकित्सा विशेषज्ञ जरूरी है। इसके साथ ही 22 पैरामेडिकल व अन्य स्टॉफ की आवश्यकता है जबकि वर्तमान में मात्र एक चिकित्सक व नर्सों के भरोसे 30 बिस्तर क्षमता के अस्पताल का संचालन कर रहे हैं।
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