एनजीटी ने अधिवक्ता अश्विनी दूबे सहित अन्य की याचिका पर कई सुनवाई के बाद 18 जनवरी को जारी आदेश में पूर्व में निर्धारित मुआवजा राशि 10 लाख रुपए में बढ़ोत्तरी कर दी है। प्रिंसिपल बेंच ने फ्लाईऐश डैम फूटने की घटना की तुलना में वर्ष 201 में हुई उपहार सिनेमा हादसे से की है। न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयलल की अध्यक्षता वाली बेंच ने डेम फूटने की घटना को कंपनी के अधिकारियों की लापरवाही करार दिया है। कहा है कि पीड़ितों को यदि राज्य सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतनमान से कम वेतन पर नौकरी दी गई हो तो उसमें भी सुधार किया जाए।
इसी प्रकार हादसे में प्रभावित अन्य किसानों व ग्रामीणों को महीने भर के भीतर क्षतिपूर्ति देने का निर्देश दिया गया है। गौरतलब है कि फ्लाईऐश डैम फूटने के इस हादसे में 4 नाबालिग सहित छह लोगों की मौत हो गई थी। इनमें से अभी एक को भी पूरा मुआवजा नहीं मिल सका है। डैम फूटने के बाद राखड़ का मलवा के तेज बहाव की चपेट में आने से दिनेश शाह पिता बिसाहू लाल निवासी भमौरा, अभिषेक कुमार शाह पिता भेया राम निवासी सिद्धिकला, सीमा कुमारी पिता भैया राम, चून कुमारी पति भैया राम दोनो निवासी सिद्धिकला, अंकित पिता दिनेश कुमार निवास भमौरा व रज्जाक अली पिता जब्बार अली निवासी चंदुआर बह गए थे। बाद में उनसभी का शव मलने में से बरामद हुआ था।
अधिकारियों पर दर्ज है मुकदमा
हादसे के लिए कंपनी के अधिकारियों को जिम्मेदार माना गया है। अधिवक्ता अश्विनी दुबे की ओर से मानवाधिकार आयोग तक मामला ले जाया गया। आयोग के निर्देश के बाद कोतवाली में सासन पावर के सीइओ अनिल कुमार, स्टेशन डायरेक्टर सचिन मोहापात्रा, आपरेशन प्रमुख आनंद देश पाण्डेय व एएचपी आपरेशन महेंद्र कुमार सिंह पर प्रकरण दर्जन किया गया है।