scriptइस शहर में प्रवेश करते ही तेज धमाके से होगा स्वागत, पल भर के लिए डर जाएंगे आप | Blasting in Singrauli Coal Mines Mist in the sky | Patrika News

इस शहर में प्रवेश करते ही तेज धमाके से होगा स्वागत, पल भर के लिए डर जाएंगे आप

locationसिंगरौलीPublished: Jan 07, 2018 11:21:02 pm

Submitted by:

Vedmani Dwivedi

तेज आवाज पूरे शहर में गूंजती है, ब्लास्टिंग से समूचा क्षेत्र कांप उठता है

Blasting in Singrauli Coal Mines Mist in the sky

Blasting in Singrauli Coal Mines Mist in the sky

सिंगरौली. शहर में प्रवेश करते ही आपका स्वागत तेज आवाज एवं कंपन के साथ होगा। आप ऐसा महसूस करेंगे की कहीं बड़ा ब्लास्ट हुआ है। धमाके की तेज आवाज सुनाई देगी। यदि आप पहली बार यहां आए हुए हैं तो यह तेज आवाज सुनकर डर जाएंगे। लेकिन सिंगरौली में रहने वाले लोगों की आदत में हो गया है। वे प्रतिदिन इन धमाकों को झेल रहे हैं।
घबराइएगा नहीं यह आवाज सिंगरौली की कोल माइंस में होने वाले हैवी ब्लास्टिंग की है। प्रतिदिन दोपहर में यहां ब्लास्टिंग होती है उसकी तेज आवाज पूरे शहर में गूंजती है।

बताया जाता है कि कोल माइंस कंपनियां मानकों को दरकिनार कर अनियंत्रित हैवी ब्लास्टिंग करती हैं। जिससे विस्थापित व आसपास के रहवासी आहत हैं। ब्लास्टिंग अमलोरी , मुहेर के साथ ही अन्य खदानों में की जाती है जिसकी धमक कई किलोमीटर दूर तक होती है। इससे प्रभावित लोगों में आक्रोश है। प्रभावित लोगों अक्सर प्रशासन से शिकायत करते रहते हैं।
खदान में किए जा रहे हैवी ब्लास्टिंग से समूचा क्षेत्र कांप उठता है। ब्लास्टिंग इतने व्यापक स्तर पर होती है कि पूरा अमलोरी क्षेत्र धधक उठता है जिसकी शिकायत स्थानीय ग्रामीण व विस्थापित कई बार जिला प्रशासन से लेकर तमाम संबंधित अधिकारियों से की। आसपास के घरों में भारी दरारें आ गईं हैं। इससे पहले भी कई मकान गिर चुके हैं।
पुरानी तकनीकी से ब्लास्टिंग
कंपनी में अभी भी पुराने तकनीकी से ब्लास्टिंग हो रही है। बताया जाता है कि इससे कंपनी का फायदा होता है लेकिन इसका खामियाजा आसपास के स्थानीय लोगों व पूरे क्षेत्र को भुगतना पड़ रहा है। खदानों में की जाने वाली ब्लास्टिंग के दौरान जब ज्यादा तेज कंपन होता है तो वह ब्लास्टिंग ड्रैगलाइन बेंच बनाने के लिए की जाती है जिसमें सामान्यत: 45 मीटर की गहराई कई जगह कर उसमें सैकड़ों टन बारूद ब्लास्ट किया जा सकता है। कंपनी को खदान से कोयला निकालने को लेकर इतनी जल्दबाजी रहती है कि ब्लास्टिंग के ज्यादा से ज्यादा बेंच तैयार कर ब्लास्ट करने की होड़ मची रहती है। एक साथ सात सौ से 13 सौ टन तक का ब्लास्ट देती हैं। जिससे पूरा क्षेत्र थर्रा उठता है।
इलेक्ट्रॉनिक डेटोनेटर का नहीं करते उपयोग
ब्लास्टिंग को लेकर यह भी बताया जाता है कि खदानों में इलेक्ट्रॉनिक डेटोनेटर का उपयोग नहीं करने पर काफी ज्यादा कंपन होता है। जानकारों की माने तो ऐसे में कंपनी में बिना इलेक्ट्रॉनिक डेटोनेटर का ब्लास्टिंग की जाती है। जिससे छेत्र में काफी कंपन होता है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो