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दो साल से धूल फांक रहीं लाखों की मशीन, लाइसेंस की राह निहार रहा ब्लड बैंक

locationसिंगरौलीPublished: Nov 23, 2018 02:40:55 am

Submitted by:

Anil singh kushwah

दम तोड़ रहे दुर्घटना में घायल, बेपरवाह बने जिम्मेदार

Blood bank, millions of machines stuck for two years, licensed road

Blood bank, millions of machines stuck for two years, licensed road

सिंगरौली. जिला अस्पताल स्थित ब्लड बैंक अरसे से लाइसेंस की राह देख रहा है। लाइसेंस तभी मिलेगा, जब ब्लड बैंक संचालन के लिए स्टाफ की नियुुक्ति हो जाएगी। नियुक्ति नहीं होने के चलते तीन साल से लाखों की मशीनें धूल फांक रही हैं। खून के अभाव में दर्जनभर लोग हर महीने दम तोड़ रहे हैं।
यह है मामला
करीब तीन साल पहले ब्लड ब्लड बैंक खोले जाने के लिए ब्लड ट्रांसफ्यूजन समेत अन्य लाखों के उपकरण जिला अस्पताल को मिले। उस वक्त था कि नई बिल्डिंग बनने के बाद ब्लड बैंक खुल जाएगा और गर्भवतियों, दुर्घटनाओं में घायलों और मलेरिया जैसी बीमारियों से ग्रसित मरीजों को ऐन वक्त पर खून मिलने लगेगा।
हर महीने औसतन 40 एक्सीडेंड
जिला अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार, भारी वाहनों, लचर यातायात व्यवस्था, खराब सड़कें और शराब के नशे में वाहन चलाने के चलते हर महीने औसतन 40 सड़क दुर्घटनाएं यहां होती हैं, जिसमें से करीब आधे दर्जन ऐन वक्त पर खून न मिलने से दम तोड़ देते हैं। इसी तरह से गर्भवती महिलाओं को भी खून की जरूरत पड़ती है। उन्हें भी ऐन वक्त पर रक्त नहीं मिल पाता है, जिससे उनकी मौत हो जाती है।
अधर में ब्लड बैँक
सालभर तक तो ब्लड बैंक के सारे उपकरण जिला अस्पताल में धूल फांकते रहे। इसके बाद एनसीएल ग्राउण्ड में एक ब्लड बैंक की बिल्डिंग बनाई गई, जिसमें सारे उपकरण रख दिए गए। जिला अस्पताल के प्रभारी सीएस व सीएमएचओ डॉ आरपी पटेल बताते हैं कि अभी ब्लड बैंक का लाइसेंस ही नहीं मिला है। लाइसेंस तभी मिल सकेगा, जब स्टाफ की नियुक्ति होगी।
एक यूनिट रक्त से बच सकती हैं तीन जानें
कहा जाता है कि एक यूनिट रक्त से तीन जानें बचायी जा सकती हैं। यह तभी संभव है, जब ब्लड सेप्रेटर मशीन हो। इस जिले में सेप्रेटर मशीन की कल्पना करना ही बेमानी है। इस मशीने के जरिए एक यूनिट रक्त से आरबीसी, प्लाज्मा और प्लेटलेट्स निकाले जाते हैं। आरबीसी का इस्तेमाल दुर्घटना में घायल, गर्भवती महिला, मलेरिया पीडि़त मरीज के लिए किया जाता है। इसी तरह से प्लाज्मा को इस्तेमला जले हुए मरीजों के लिए किया जाता है, जबकि प्लेटलेट्स डेंगू, चिकनगुनिया आदि बीमारी से पीडि़त मरीजो के लिए किया जाता है। ब्लड सेप्रेटर मशीन न होने से समूचा रक्त चढ़ा दिया जाता है।
सीएमएचओ बोले
प्रभारी सीएस व सीएमएचओ डॉ. आरपी पटेल ने कहा कि ब्लड बैंक बनकर तैयार है। लाइसेंस मिलने के बाद उसे चालू कर दिया जाएगा। इसके बाद मरीजों को ब्लड की सुविधाएं मिलेंगी।

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