सिंगरौली

किताबों के बोझ तले दबा बचपन, सेहत पर भारी पड़ रहा बस्ता, प्रत्येक कक्षा के छात्रों पर निर्धारित वजन से ज्यादा बोझ

कमीशनखोरी के चलते अनावश्यक बढ़ गई हैं किताबें…..

सिंगरौलीJul 23, 2019 / 01:42 pm

Amit Pandey

Bookshelf childhood in singrauli

सिंगरौली. बस्ते के बोझ से दबे होने के चलते पैदल चलना भी मुश्किल हो रहा था। छुट्टी होने पर बस्ते को संभालने में वह परेशान नजर आया। क्लास पूछा तो पहली कक्षा बताया। बस्ते को लेकर देखा तो वजन पांच किलो से अधिक ही जान पड़ा। जबकि पहली कक्षा के बस्ते के लिए अधिकतम 1.5 किलोग्राम का वजन निर्धारित है। सोमवार को पत्रिका की पड़ताल में स्कूल के ज्यादातर बच्चों के बैग निर्धारित वजन से ज्यादा रहे। बैढऩ का यह स्कूल महज एक बानगी है। यह हाल ज्यादातर निजी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों का है। भारी बस्ता बच्चों पर शारीरिक व मानसिक दोनों ही रूप में भारी पड़ रहा है।
बच्चों पर शारीरिक व मानसिक दबाव न पड़े, इसको लेकर केंद्र व राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से पाठ्यक्रम के साथ ही बस्ते का वजन भी निर्धारित कर दिया गया है, लेकिन नियमों को ताक पर रखकर स्कूल प्रबंधन बच्चों पर जबरन भारी बस्ते का बोझ लाद रहा है। नतीजा बच्चों का बचपन बस्ते के बोझ तले दबकर रह गया है। भविष्य संवारने के चक्कर में उनकी सेहत खराब हो रही है। बच्चों में छोटी सी उम्र में घुटने, गर्दन व रीढ़ की हड्डियों में दर्द की शिकायत हो रही है। उनका शारीरिक विकास बाधित हो रहा है सो अलग। बच्चों में इस तरह से शारीरिक समस्या बस्ते के बोझ का ही नतीजा माना जा रहा है।
कॉम्पिटिशन व कमीशन का खेल
बच्चों पर बस्ते का अधिक बोझ निजी स्कूलों के बीच आपसी कॉम्पिटिशन व कमीशन का नतीजा है। बेहतर पाठ्यक्रम और अधिक किताब पढ़ाए जाने के दिखावे में बच्चे रहे हैं। इसके अलावा किताबों पर स्कूल संचालकों को मिलने वाला बड़ा कमीशन भी किताबों की बढ़ी संख्या का मूल वजह है। जबकि प्रत्येक कक्षा के लिए शासन स्तर से पाठ्यक्रम व किताब दोनों ही निर्धारित है, लेकिन उसे नजर अंदाज किया जा रहा है।
सीबीएसई बोर्ड के निर्देश बेमानी
सीबीएसई ने सभी स्कूलों में बस्ते के बोझ को घटाने के निर्देश दिया है। कक्षावार बस्ते का वजन भी निर्धारित किया है, लेकिन स्कूल संचालक निर्देशों को ठेंगा दिखा रहे हैं। जिसका खामियाजा मासूम भुगत रहे हैं। बोर्ड की ओर से जारी निर्देश मेें कहा गया है कि बच्चों के बस्ते का बोझ अधिक नहीं होना चाहिए। इसके लिए स्कूल स्तर पर टाइम टेबल बनाया जाए। राज्य शासन की ओर से भी इस बावत निर्देश जारी किया गया है।
कक्षावार बस्ता का भार:
कक्षा निर्धारित भार वर्तमान में हकीकत
एक से दो 1.5 किलो 5 किलो
तीन से पांच 2-3 किलो 7 किलो
छह से सात 4 किलो 7.5 किलो

क्या कहते हैं विशेषज्ञ
जिला अस्पताल के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ आरबी सिंह ने बताया कि भारी बोझ के चलते बच्चों क े शरीर विकास प्रभावित हो रहा है। हड्डी व मांसपेशियों की समस्या बढ़ जाती है सो अलग।पूर्व की तुलना में अब बच्चों की इस तरह से समस्या अधिक आने लगी है।
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