काचन बांध में उपलब्ध पानी और परियोजना के 32 सौ हेक्टेयर में बोए गए गेहूं को सिंचाई की जरूरत का जल संसाधन विभाग को पूर्वानुमान लगाना पड़ रहा है। इससे पहले परियोजना क्षेत्र के किसानों को पलेवा के लिए बांध से एक बार सिंचाई के लिए पानी दिया जा चुका। इस कारण भी बांध का जल स्तर नीचे आया। अब विभाग के स्तर पर बांध में संग्रहित जल व बोए गए गेहूं को पकने तक होने वाली पानी की जरूरत का आकलन किया जा रहा है। आरंभिक तौर पर इसमें सामने आया कि बांध में उपलब्ध जल के अनुपात मेंं परियोजना क्षेत्र के किसानों को गेहूं की सिंचाई के लिए दो बार ही सिंचाई के लिए पानी दिया जा सकेगा। इसके बाद बचने वाले पानी को नियमानुसार गर्मी में आपातकालीन जरूरत के लिए संरक्षित रखा जाएगा।
विभाग का अनुमान है कि फरवरी के बाद तापमान बढऩे पर किसानों की आेर से सिंचाई के लिए पानी की मांग होने लगेगी जबकि गेहंूं पकने तक अपे्रल माह का इंतजार करना होगा। इस बीच तापमान अधिक बढऩे पर मार्च व अपे्रल में मांग के आधार पर किसानों को विभाग दो बार सिंचाई पानी देने पर लगभग सहमत है मगर गर्मी के कारण फसल पकने से पहले यदि किसी क्षेत्र से तीसरी बार पानी की मांग आती है तो विभाग के पास देने के लिए बांध में पानी नहीं होगा। इसलिए अभी आकलन के बाद विभाग की ओर से सभी किसानों को इस संबंध में अवगत कराने पर विचार किया जा रहा है ताकि किसी भी परिस्थिति में किसान विभाग से तीसरी बार सिंचाई के लिए पानी की उम्मीद नहीं रखें। जल संसाधन विभाग के स्थानीय अधिकारी सूत्रों ने बताया कि इसे लेकर परियोजना क्षेत्र के किसान प्रतिनिधियों व जल उपयोक्ता संघ पदाधिकारियों के साथ जल्द अनौपचारिक बैठक की जाएगी। इसमें बांध में जल की उपलब्धता के संबंध में किसानों को अवगत कराया जाएगा व उनसे विभाग को सहयोग का आग्रह किया जाएगा ताकि भविष्य में किसी परेशानी से बचा जा सके।