जिला अस्पताल में बर्न वार्ड बनाने के नाम पर अभी तक महज खानापूर्ति की गई थी। बर्न वार्ड में डॉक्टर व स्टाफ नहीं है। वहीं सिर्फ दो बेड रखकर वार्ड को बर्न वार्ड का नाम दे दिया गया था। इस अधूरी व्यवस्था के कारण मरीजों को इलाज के लिए अन्य शहरों में जाना पड़ता था। जिले की आबादी करीब 12 लाख से ज्यादा है। बावजूद जिला अस्पताल में बर्न वार्ड की हालत वर्षों से बदतर बनी हुई थी। अब न केवल वार्ड में एसी लगाई गई है। बल्कि हर मरीज के लिए अलग-अलग केबिन बना दिया गया है। कई अन्य सुविधा मुहैया कराने की कवायद भी चल रही है।
यह होना चाहिए:
– वातानुकूलित वार्ड होना चाहिए।
– मरीजों की संख्या के हिसाब से बेड।
– केवल डॉक्टर व नर्स को प्रवेश की अनुमति।
– प्रत्येक बेड पर प्रकाश व हवा के इंतजाम।
– बेड पर मच्छरदानी व दवाइयों के इंतजाम जरूरी है।
– डॉक्टर व नर्सों के लिए सभी संसाधन भी जरूरी है।
वर्तमान में यह हालात:
– बर्न वार्ड के नाम पर सिर्फ 3 बेड लगे हैं।
– अब उसे वातानुकूलित किया गया है।
– डॉक्टर व नर्स स्टॉफ की व्यवस्था नहीं है।
– हर बेड पर मच्छरदानी सहित अन्य इंतजाम किया गया।
– वार्ड में साफ.-सफाई व अन्य सुविधाएं भी नहीं हैं।
– बर्न वार्ड के नाम पर सिर्फ 3 बेड लगे हैं।
– अब उसे वातानुकूलित किया गया है।
– डॉक्टर व नर्स स्टॉफ की व्यवस्था नहीं है।
– हर बेड पर मच्छरदानी सहित अन्य इंतजाम किया गया।
– वार्ड में साफ.-सफाई व अन्य सुविधाएं भी नहीं हैं।
मरीजों व परिजनों को परेशानी
– इलाज के लिए परेशान होना पड़ता है।
– बड़े शहरों में जाना पड़ता है।
– कई बार दूरी अधिक होने से मरीज की जान चली जाती है।
– इलाज पर अतिरिक्त आर्थिक भार वहन करना पड़ता है।
– योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है।
– इलाज के लिए परेशान होना पड़ता है।
– बड़े शहरों में जाना पड़ता है।
– कई बार दूरी अधिक होने से मरीज की जान चली जाती है।
– इलाज पर अतिरिक्त आर्थिक भार वहन करना पड़ता है।
– योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है।