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जिले में बिना महिला अटेंडर के चल रहीं स्कूल की बसें

locationसिंगरौलीPublished: Sep 25, 2018 02:35:43 am

Submitted by:

Anil singh kushwah

सुरक्षा की अनदेखी: दुर्घटनाओं के बाद भी नहीं चेत रहे जिम्मेदार, चेकिंग तक नहीं

Buses of school running without female attendants in district

Buses of school running without female attendants in district

सिंगरौली. बच्चों को स्कूल लाने और वापस घर छोडऩे के लिए लगे ऑटो, मैजिक, मारूति वैन और बसों के संचालन में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है। स्कूल बसों में महिला सहायकों की नियुक्ति करने का आदेश भी सर्वोच्च न्यायालय ने दिया है, लेकिन अब तक इस आदेश का पालन नहीं हो सका है। बता दें कि अभी हाल ही में राजधानी भोपाल में स्कूली बस में मासूम के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया था। ऐसी घटनाएं हर रोज देश में कहीं न कहीं हो रही हैं। इसके बावजूद स्कूली बसों में महिला परिचालक नहीं रखी जा रही हैं।
स्कूली बसों में नहीं हैं महिला अटेंडर
ये नियुक्तियां भी स्कूल प्रबंधन को करना है। करीब दो वर्ष पहले परिवहन विभाग ने सभी प्राइवेट स्कूल बसों के मालिकों और स्कूल प्रबंधन को नोटिस भेजकर बसों में महिला सहायकों की नियुक्ति कराने के निर्देश दिए गए थे। उल्लेखनीय है कि स्कूल बसों में छात्राओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया था। आदेश में निजी स्कूलों बसों में महिला सहायक कर्मियों को नियुक्ति छात्राओं की सुरक्षा के लिए अनिवार्य है। किस महिला की नियुक्ति सहायक के तौर पर करनी है इसके अधिकार प्राइवेट स्कूल संचालकों को दिए हैं। स्कूल प्रबंधन को ही मॉनीटरिंग का कार्य क रना है। अभिभावकों की शिकायतों को दूर करने का कार्य भी स्कूल प्रबंधन का ही होगा, लेकिन जिला मुख्यालय सहित अन्य स्थानों में संचालित स्कूली बसों में महिला अटेंडर की नियुक्ति नहीं हो सकी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश को स्कूल प्रबंधनों ने किया दरकिनार
छात्राओं को बैठाकर ले जाने वाले वाहनों में महिला सहायक नजर नहीं आती। इससे साफ जाहिर होता है कि ज्यादातर स्कूल प्रबंधन इस आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में स्कूली वाहनों में छात्राओं के साथ हुई घटनाओं के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय सुनाया था। जिला परिवहन कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक जिले भर में 150 छोटी-बड़ी स्कूली बसें पंजीकृत है, जबकि मैजिक, मारूति वैन सहित ऑटो बिना पंजीयन स्कूली छात्रों को ढो रहे हैं। जिला मुख्यालय के प्राइवेट स्कूलों में ही लगभग 60 से अधिक वाहन चल रहे। वहीं जिले में डेढ़ सौ वाहन दर्ज बताए जा रहे। ऐसे में अधिकतर वाहन बिना पंजीयन के अनाधिकृत रूप से दौड़ रहे हैं।
ये है दिशा-निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने स्कूली वाहनों में बच्चों की सुरक्षा सहित उनकी सुविधा को लेकर वर्षों पहले गाइड लाइन जारी की गई थी, जिसमें वाहन की निर्धारित सीट क्षमता से अधिक बच्चों को नहीं बैठाया जाए। स्कूलों में लगे सभी तरह के वाहनों का रंग पीला होना चाहिए। प्रत्येक स्कूल वाहन मारूति वैन, मैजिक, ऑटो और बसों पर स्कूली वाहन लिखा होना चाहिए। इसके साथ ही संबंधित स्कूल का नाम, टेलीफोन नंबर, चालक का नाम सहित उसका मोबाइल नंबर भी दर्ज होना जरूरी है। प्रत्येक वाहन में प्राथमिक उपचार की किट रखी जाए। मारूति वैन सहित अन्य वाहन गैस किट से नहीं चलाए जाएं। वाहन के चालक और परिचालक यूनिफार्म में रहें और उनके बैच पर नाम भी लिखा होना जरूरी है। बस्ता रखने के लिए अलग बाक्स बनाया जाए। ऑटो, मैजिक वाहन में पीछे की तरफ जाली लगाना होगी। सभी वाहनों में चालक के साथ एक कंडक्टर सहित महिला परिचालक भी अनिवार्य रूप से रहेगा।
कड़ी हिदायत दी जाएगी
जिला शिक्षा अधिकारी आरपी पाण्डेय ने बताया कि जिले में संचालित प्राइवेट स्कूल बसों में सुप्रीम कोर्ट के गाइड लाइन का पालन कराया जायेगा। इसके लिए स्कूल प्रबंधन को नोटिस जारी कर जवाब मागेंगे। स्कूल प्रबंधन को कड़ी हिदायत दी जायेगी कि स्कूली बसों में महिला अटेंडर अनिवार्य रूप से रखें।

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