काचन सिंचाई परियोजना की खुटार नहर रविवार 23 दिसंबर को तडक़े खुटार गांव के पास टूट गई थी। यह नहर लगभग पौने दो हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में सिंचाई सुविधा मुहैया कराती है, लेकिनटूट जाने के बाद से नहर मेंं पानी बंद है और इसके चलते नहर के अधीनस्थ क्षेत्र में सिंचाई सुविधा ठप पड़ी है।
जल संसाधन विभाग के अधिकारी सूत्रों के अनुसार टूटने के समय रविवार 23 दिसंबर को तडक़े नहर मेंं लगभग एक क्यूसेक पानी चल रहा था। नहर की टूटने वाली जगह लगभग दस फीट ऊंचाई पर है। इसलिए इसे बांधने और मरम्मत के लिए सामान्य से अतिरिक्त संसाधन की जरूरत का आकलन किया गया है।
टूटने के बाद मौके से नहर के तल व एक तरफ की काफी मिट्टी भी पानी के साथ बह गई। इसलिए वहां मिट्टी की काफी भर्ती की आवश्यकता रहेगी। नहर का मरम्मत कार्य शुरू करने में देरी हो रही है। हालांकि इस बीच नहर बंद होने के कारण प्रभावित किसानों की ओर से सिंचाई पानी देने के लिए लगातार आग्रह किया जा रहा है।
ताकि गेहूं व अन्य फसलों की समय पर बुवाई हो सके। अधिकारी सूत्रों ने बताया कि टूटी नहर की मरम्मत के लिए सामग्री व मानवीय संसाधनों के आकलन के बाद यह काम गुरुवार से शुरू कराए जाने की व्यवस्था है। मरम्मत के इस काम मेेंं एक-दो दिन लगने की संभावना जताई गई है।
इस बीच जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री आरएसिंह के निर्देश पर बुधवार दोपहर सहायक अभियंता पीके पांडे व अभियंता आरपी बैस ने नहर के टूटे हुए हिस्से का मौका देखा तथा इसकी दुरुस्ती के काम में वांछित संसाधनों के संबंध मेंं अधिकारियों से चर्चा की।
उल्लेखनीय है कि खुटार वितरिका ही काचन परियोजना के सबसे अधिक क्षेत्र को सिंचाई सुविधा मुहैया कराती है। इस कारण प्रभावित किसान इस वितरिका की जल्द मरम्मत होने व इसके बाद नहर मेेंं पानी चलाए जाने का इंतजार कर रहे हैं। इसमें हो रही देरी से किसानों की चिंता बढ़ रही है।