सोन नदी में बच्चों की बह जाने की खबर सुनते ही घर में कोहराम मच गया। रोते-बिलखते परिजन आनन-फानन में कुड़ारी घाट पर पहुंचे। जहां परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया है। परिजन रोते हुए यही रट लगा रहे थे कि घर से तो ट्यूशन पढऩे के लिए निकला था, मौत ही नदी तक खींच लाई। पास-पड़ोस के लोग बच्चों के परिजनों को सांत्वना देते रहे।
नदी में लापता बच्चों को ढूंढऩे के लिए एसडीआरएफ की टीम बकायदे सर्चिंग अभियान चलाएगी। कुड़ारी घाट से लेकर चोपन तक सर्चिंग अभियान चलाया जाएगा। शनिवार शाम अंधेरा होने के बाद रेस्क्यू बंद कर दिया गया। रविवार को फिर बच्चों की तलाश के लिए एसडीआरएफ की टीम व गोताखोर सोन नदी में उतरेंगेञ एसडीआरएफ की टीम पहुंचने के बाद उम्मीद जगी है कि नदी में लापता बच्चों को टीम ढूंढ़ निकालेगी।
बच्चों के नदी में बह जाने की घटना के बाद बच्चों की तलाश ग्रामीणों की मदद से शुरू की गई। कई बार बुलाने के बाद भी शाम तक मौके पर न ही एसडीआरएफ की टीम पहुंची और न ही गोताखोर। जबकि घटना की सूचना पर कलेक्टर राजीव रंजन मीना व एसपी वीरेंद्र सहित प्रशासन व पुलिस के अधिकारी मौके पर पहुंच गए। थाना प्रभारी संतोष तिवारी अपने दलबल के साथ बच्चों की तलाश में जुटे रहे।
घटना की खबर मिलने के बाद मौके पर कलेक्टर राजीव रंजन मीना व एसपी वीरेंद्र सिंह सहित एसडीओपी राजीव पाठक मौके पर पहुंचे। सोन नदी में लापता बच्चों की तलाश करने के लिए निर्देशित किया है। वहीं गढ़वा टीआई संतोष तिवारी अपने दलबल के साथ बच्चों की तलाश मेें जुटे रहे। बताया गया है कि देर शाम पहुंची एसडीआरएफ की टीम ने भरोसा दिलाया है कि नदी में बहे बच्चों को जल्द ही खोज निकालेगी। इस दौरान सोनभद्र जिला प्रशासन की टीम भी मौके पर पहुंची है।
नदी में बह गए बच्चों में शामिल राहुल अपने घर का इकलौता चिराग है। राहुल के पिता कुंजलाल वैश्य अपने 1५ वर्षीय बच्चे के नदी में बह जाने की घटना के बाद से अपना सुधबुध खो बैठे हैं। बाकी के बच्चों के परिजनों का भी बुरा हाल है।