कोयला कंपनी मेसर्स इएमआइएल माइंस एंड मिनिरल रिसोर्सेज लिमिटेड को कोल ब्लॉक के रूप में 775.01 हेक्टेयर में सरई तहसील के 5 गांव आ रहे हैं। इसमें बंधा, तेंदुहा, पिडऱवाह, देवरी व पचौर शामिल है। इनमें सबसे अधिक रकबा बंधा गांव का 510.45 हेक्टेयर है। उसके बाद पिडऱवाह का 119.03 हेक्टेयर, तेंदुहा का 108.23 हेक्टेयर, देवरी का 35.46 हेक्टेयर व पचौर का 1.85 हेक्टेयर भूमि कोल ब्लॉक में शामिल है। इन रकबा में लगभग सभी गांव पूरी तरह से आ रहे हैं।
गौरतलब है कि बंधा में कोयले का भूगर्भीय भंडारण 441 मैट्रिक टन बताया गया है। इससे राज्य शासन को 799.82 करोड़ रुपए वार्षिक का राजस्व मिलेगा। वैसे तो अभी कंपनी द्वारा सर्वे कार्य किया जाएगा। उसके बाद विस्थापितों की संख्या तय हो पाएगी, लेकिन अधिकारियों की माने तो इस विस्थापन में एक हजार से अधिक ऐसे लोग प्रभावित होंगे, जो गांव में पीढिय़ों से बसे हैं। ऐसे लोगों की संख्या ज्यादा बताई जा रही है, जो हाल के कुछ वर्षों में वहां जाकर बसे हैं। विस्थापन संबंधित प्रक्रिया पूरी करने के लिए दिसंबर तक का समय बताया गया है।
छह सदस्यों की टीम गठित
कलेक्टर राजीव रंजन मीना ने विस्थापन संबंधित प्रक्रिया पूरी करने के लिए 6 सदस्यीय समिति का गठन किया है। इसमें प्रशासनिक अधिकारी के रूप में डिप्टी कलेक्टर संपदा सर्राफ, पर्यावरण विशेषज्ञ के रूप में एनसीएल के सहायक प्रबंधक एनएल एंथनी, पुनर्वास विशेषज्ञ के रूप में एनटीपीसी विंध्याचल के मो. जुनैद, शिक्षाविद प्रो. जेपी सिंह व डॉ. एनपी प्रजापति, खनिज निरीक्षक कपिलमुनि शर्मा व एक तहसील को शामिल किया गया है।
कलेक्टर राजीव रंजन मीना ने विस्थापन संबंधित प्रक्रिया पूरी करने के लिए 6 सदस्यीय समिति का गठन किया है। इसमें प्रशासनिक अधिकारी के रूप में डिप्टी कलेक्टर संपदा सर्राफ, पर्यावरण विशेषज्ञ के रूप में एनसीएल के सहायक प्रबंधक एनएल एंथनी, पुनर्वास विशेषज्ञ के रूप में एनटीपीसी विंध्याचल के मो. जुनैद, शिक्षाविद प्रो. जेपी सिंह व डॉ. एनपी प्रजापति, खनिज निरीक्षक कपिलमुनि शर्मा व एक तहसील को शामिल किया गया है।