मरीजों की जांच भगवान भरोसे है। मुख्यालय में बिना रजिस्ट्रेशन के पैथालॉजी लैबों का संचालन धड़ल्ले के साथ हो रहा है। स्वास्थ्य अधिकारी जान बुझकर नजरअंदाज कर रहे हैं। कलेक्टर के निर्देश के बावजूद महकमा बिना रजिस्टे्रशन संचालित हो रहे पैथालॉजी सेंटरों पर कार्रवाई करने से कतरा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी के चलते संचालक मालामाल हो रहे हैं। इन सेंटरों पर जांच रिपोर्ट भी भ्रामक होती है। गांव हो या शहर यहां रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। शहर से ज्यादा ग्रामीण इलाकों में लोग बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। इससे गांवों से लेकर कस्बों तक पैथोलॉजी सेंटरों की भरमार है।
नींद से नहीं जागा महकमा
जिले में गलत तरीके से जांच व उपचार से हुई मौत के बाद भी महकमा नींद से नहीं जाग रहा है। संचालित पैथोलॉजी लैब का शुल्क भी अलग-अलग है। निजी अस्पतालों में ब्लड शुगर की जांच का कोई सौ रुपए ले रहा है तो कोई दो सौ रुपए। यही हाल हिमोग्लोविन और यूरीन की जांचों का भी है। थायराइड, क्रिएटिन, मलेरिया, डेंगू की जांचों की कीमत में काफी अंतर देखने को मिला है। इधर ग्रामीण के अन्य इलाकों में पैथालॉजी सेंटरों में ब्लड शुगर जांच का शुल्क 250 रुपए तक लिया जा रहा है।
किसी ने नहीं कराया रजिस्टे्रशन
जगह-जगह पर जांच केन्द्र खोले गए हैं लेकिन रजिस्ट्रेशन किसी सेंटर का नहीं है। सभी अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं। गत साल स्वास्थ्य विभाग ने मुहिम चलाकर अवैध पैथोलॉजी सेंटरों पर कार्रवाई किया था। इसके बाद से कार्रवाई करने को विभाग भूल गया है। संचालित जांच सेंटरों पर अलग-अलग शुल्क लिया जा रहा है। सामान्य जांच का शुल्क भी दो सौ रुपए तक लिया जा रहा है। जांच सेंटरों पर जिला अस्पताल के डाक्टर मेहरबान हैं। अस्पताल में इलाज के लिए आए मरीजों को बाहर जांच कराने की सलाह दी जाती है।
नींद से नहीं जागा महकमा
जिले में गलत तरीके से जांच व उपचार से हुई मौत के बाद भी महकमा नींद से नहीं जाग रहा है। संचालित पैथोलॉजी लैब का शुल्क भी अलग-अलग है। निजी अस्पतालों में ब्लड शुगर की जांच का कोई सौ रुपए ले रहा है तो कोई दो सौ रुपए। यही हाल हिमोग्लोविन और यूरीन की जांचों का भी है। थायराइड, क्रिएटिन, मलेरिया, डेंगू की जांचों की कीमत में काफी अंतर देखने को मिला है। इधर ग्रामीण के अन्य इलाकों में पैथालॉजी सेंटरों में ब्लड शुगर जांच का शुल्क 250 रुपए तक लिया जा रहा है।
किसी ने नहीं कराया रजिस्टे्रशन
जगह-जगह पर जांच केन्द्र खोले गए हैं लेकिन रजिस्ट्रेशन किसी सेंटर का नहीं है। सभी अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं। गत साल स्वास्थ्य विभाग ने मुहिम चलाकर अवैध पैथोलॉजी सेंटरों पर कार्रवाई किया था। इसके बाद से कार्रवाई करने को विभाग भूल गया है। संचालित जांच सेंटरों पर अलग-अलग शुल्क लिया जा रहा है। सामान्य जांच का शुल्क भी दो सौ रुपए तक लिया जा रहा है। जांच सेंटरों पर जिला अस्पताल के डाक्टर मेहरबान हैं। अस्पताल में इलाज के लिए आए मरीजों को बाहर जांच कराने की सलाह दी जाती है।