scriptकोल खदानों में श्रमिकों की जोखिम में है जान, सुरक्षा के मानकों को नजरअंदाज कर रही कंपनियां | Companies not paying attention to security in Singrauli's coal mines | Patrika News

कोल खदानों में श्रमिकों की जोखिम में है जान, सुरक्षा के मानकों को नजरअंदाज कर रही कंपनियां

locationसिंगरौलीPublished: Feb 15, 2020 09:53:06 pm

Submitted by:

Ajeet shukla

संसदीय परामर्शदात्री समिति में उठाया गया मुद्दा….

NCL's coal production lags behind target in first half of financial year

NCL’s coal production lags behind target in first half of financial year

सिंगरौली. ऊर्जाधानी सिंगरौली में कोल खनन कर रही कंपनियों ने सुरक्षा के मानकों को नजरअंदाज कर दिया है। दो जून की रोटी जुटाने के लिए खदानों में कार्य करने वाले कर्मी अपनी जान दांव पर लगाने को मजबूर हैं। कुछ ऐसे ही तर्कों के साथ संसदीय परामर्शदात्री समिति में यहां खदानों में व्याप्त अव्यवस्थाओं का मुद्दा उठाया गया है।
कोयला व खान मंत्रालय की ओर गठित परामर्शदात्री समिति के सदस्य व सोनभद्र सांसद पकौड़ी लाल कोल ने खदानों में सुरक्षा व्यवस्था की मांग की है। केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री प्रहलाद जोशी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में समिति के सदस्य व सोनभद्र सांसद पकौड़ी लाल कोल ने सुरक्षा से संबंधित मुद्दा उठाया। उन्होंने कोयला खदानों की सुरक्षा ड्रोन कैमरे व सीआईएसएफ के हवाले किए जाने सहित सुरक्षा संबंधित कई मांग की।
सांसद ने कहा कि इस व्यवस्था से खदानों में बढ़ रही चोरी की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके। कहा कि खदानों की सुरक्षा व्यवस्था में बदलाव इसलिए होना चाहिए। क्योंकि खदानों से हर महीनों लाखों रुपए का कोयला, कबाड़ व डीजल चोरी हो रहा है। वर्तमान में खदानों में सक्रिय चोरों पर निगरानी के लिए गार्डलगाए गए हैं, लेकिन उनकी निगरानी अपर्याप्त साबित हो रही है।
सीमित स्थान में रखा जाए ओबी
परामर्शदात्री समिति की बैठक में इसके अलावा खदानों में ओवरवर्डन (ओबी) को एक निश्चित उंचाई एवं चौड़ाई में रखे जाने की बात कही गई। सांसद ने कहा कि बरसात में ओबी यानी मिट्टी धसकने से आस-पास के गांव चपेट में आ जाते हैं। इससे बड़ी दुर्घटनाएं होती हैं। दुर्घटनाओं से राहत के लिए हर वर्ष बड़ा बजट खर्च किया जाता है।
ब्लास्टिंग की तीव्रता कम हो
खदानों में होने वाले तेज ब्लॉस्टिंग की तीव्रता को कम किए जाने की मांग भी की गई। कहा गया कि खदानों से एक बार में अधिक से अधिक कोयला तोडऩे के लिए तीव्र ब्लॉस्टिंग की जाती है। इससे कर्मचारियों की श्रवण क्षमता प्रभावित हो रही है। दूसरी ओर आस-पास के गांवों में घरों की दीवारों में दरार आ रहा है। इसे रोकना जरूरी है।
यह मांग भी की गई
– कर्मचारियों को कार्य स्थल पर सचल चिकित्सालय उपलब्ध कराया जाए।
– पुरानी मशीनों को बदल कर नई मशीन लाई जाएं या सभी को दुरुस्त कराया जाए।
– कर्मचारियों को माईनिंग शूज, हेलमैट, सेफ्टी वेल्ट, हैंड ग्लब्स, रेनकोट मिले।
– कोल खदानों के चारों तरफ सुरक्षा दीवार बनाया जाना सुनिश्चित किया जाए।
– कर्मचारियों को विशेषज्ञों से हर वर्ष नवीन तकनीकी प्रशिक्षण दिलाया जाए।
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