बता दें क कि जिले में शराब की ज्यादातर दुकानें बंद होने से आबकारी को रोजाना लाखों रुपये का घाटा उठाना पड़ रहा है। दुकानों की नीलामी की प्रक्रिया दो बार अपनाई गई मगर दोनों बार ही विफलता ही मिली। शनिवार को नीलामी की प्रक्रिया एक बार फिर शुरु तो की गई मगर इस पर भी नाकामी ही हाथ लगी बताई जा रही है। ऐसे में अब संशोधित नीलामी की प्रक्रिया सोमवार 22 जून को पूरी होगी जबकि पिछली नीलामी 18 जून को हुई जो नाकाम रही।
अब तीसरी बार दुकानों की नीलामी के लिए मांगे गए प्रस्ताव पर शनिवार को जिला आबकारी विभाग को एक टेंडर मिला है। इसमें भी पिछले दो बार की ही तरह ही संबंधित एकल समूह की ओर से टेंडर डाला गया। यह राशि विभाग की ओर से सभी 47 लाइसेंसी शराब की दुकानों के तय न्यूनतम आरक्षित शुल्क 90 करोड़ के मुकाबले 55 फीसद प्रतिशत कम है। इस बार फिर एक समूह ने टेंडर दिया है और इसमें भी पिछली बार जितनी 50 लाख 94 हजार रुपए का आफर किया गया है। इतनी कम राशि के कारण ही पिछली बार जिला समिति में टेंडर खारिज किया गया और उतनी ही राशि का आफर फिर आने के चलते इस बार भी इसका नामंजूर होना तय है। घोषित कार्यक्रम के अनुसार सोमवार 22 जून को टेंडर खोलकर शराब की दुकानों की नीलामी की जानी है। मगर शासन व आबकारी विभाग का दुकानों की नीलामी का यह प्रयास भी परवान चढ़ता नहीं दिख रहा।
सूत्रों की मानें तो विभाग की ओर से तय न्यूनतम शुल्क के मुकाबले 80 प्रतिशत या उससे अधिक का कोई आफर मिलने पर उस पर विचार किया जा सकता है। यह राशि लगभग 73 करोड़ रुपए होती है। मगर इतनी राशि का आफर विभाग को अब तक किसी भी समूह ने दुकान संचालन के लिए नहीं किया है। इसके विपरीत शनिवार को तथा पहले मिला एक-एक आफर 50-50 करोड़ रुपए पर ही अटका है। इसलिए पिछली बार की तरह इस बार भी नीलामी की सफलता संदिग्ध बनी हुई है।
बचा अन्य विकल्प का सहारा
सूत्रों बताते हैं कि विभाग में उच्च स्तर पर जिले में शराब की दुकानों के संचालन के लिए अन्य विकल्पों पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। संकेत है कि इस बार भी नीलामी में नाकाम रहने पर विभाग मुख्यालय की ओर से हर एक दुकान के लिए नीलामी की अलग-अलग प्रक्रिया अपनाई जा सकती है। इससे अधिकतर दुकान का टेंडर हो पाना आसान हो जाएगा। विभाग का अनुमान है कि इस विकल्प के सहारे बंद दुकानों का जल्द संचालन शुरु हो सकेगा और आबकारी शुल्क का नियमित नुकसान भी रूकेगा।
सूत्रों बताते हैं कि विभाग में उच्च स्तर पर जिले में शराब की दुकानों के संचालन के लिए अन्य विकल्पों पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। संकेत है कि इस बार भी नीलामी में नाकाम रहने पर विभाग मुख्यालय की ओर से हर एक दुकान के लिए नीलामी की अलग-अलग प्रक्रिया अपनाई जा सकती है। इससे अधिकतर दुकान का टेंडर हो पाना आसान हो जाएगा। विभाग का अनुमान है कि इस विकल्प के सहारे बंद दुकानों का जल्द संचालन शुरु हो सकेगा और आबकारी शुल्क का नियमित नुकसान भी रूकेगा।