बताया जाता है कि 15-20 की संख्या में चोर रात में अचानक धावा बोलकर कॉपर केबिल काट ले जाते हैं। सूत्रों के मुताबिक कोई गैंग झिंगुरदह टिप्पा झरिया के पास आकर डेरा डाले है, जिसमें 15-20 युवक पूरे दिन खदानों के अंदर घूम कर कॉपर केबिल की रेकी करते हैं और रात में उन्हीं स्थानों पर पहुंच कर चोरियां करते हैं। लगातार वारदातों को अंजाम देने वाला गैंग कई स्थानों से काटा हुआ केबिल ले जाने में कामयाब हो गया तो कई स्थानों पर छोड़कर भाग गया।
बता दें कि बीते दिनों खदान एरिया में पकड़े गये एक कबाड़ चोर ने मोरवा में रहने वाले किसी सरगना के इशारे पर कॉपर केबल की चोरी स्वीकार की थी। बताया था कि सरगना उन्हें दूरदराज से बुलाता है और कॉपर केबिल को काटकर उसकी इंसुलेशन को वहीं पर छीलकर फेंक देने के बाद वजन के हिसाब से पैसे देता है। सूत्रों का कहना है कि हनुमान मंदिर क्षेत्र में इस प्रकार के सरगना दर्शन करने के बहाने लक्जरी गाडिय़ों से जाते हैं और तांबा लेकर अपने ठिकाने पर जमा कर देते हैं।
सूत्रों का कहना है कि खदानों से सिर्फ कॉपर के केबल कटने की वारदातें हो रही हैं। बीते दिनों एक कबाड़ व्यवसायी को कार से कॉपर ले जाते हुए पकड़ा गया था। वह यूपी के किसी जिले में उसे पहुंचाने जा रहा था। उधर कंपनी, अपनी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से बचाने के लिए हर महीनें लाखों रूपये निजी सुरक्षा एजेंसियों पर तो खर्च कर रही है लेकिन कबाड़ के नाम पर हो रही केबल की चोरी को लेकर संबंधित थानों में एफआईआर तक नहीं लिखाई जा रही है। कहा जा रहा है कि लगातार हो रही चोरियों पर लगाम लगाने के लिए एनसीएल का अपना तंत्र नाकाफी है। एनसीएल की परियोजनाओं में कार्मिक प्रबंधकों को उनकी मानिटरिंग और मैदान में एक एक इंस्पेक्टर लगा रखा है। उनकी मदद के लिए दो चार जवान भी हैं। एनसीएल के पास अपने जवान नहीं हैं।
यही वजह है कि गत मंगलवार की रात चोरों ने ककरी खदान में जमकर उत्पात मचाया तो उसी रात खडिय़ा खदान में भी शॉवेल से लगभग 100 मीटर केबल काट कर ले गए। इससे पहले चोर निगाही खदान के शॉवेल से लगभग 60-70 मीटर केबल काट कर ले गए थे, जिसकी जानकारी पर परियोजना प्रबंधन ने सुरक्षा एजेंसियों को केबिल की कीमत वसूलने की धमकी दे दी है। बावजूद इसके पिछले दिनों कबाड़ चोरों ने ककरी खदान में एक गार्ड को पकड़कर बांध दिया। निजी सुरक्षा एजेंसी के गार्ड परमाराम के साथ मारपीट की और साउथ पम्प हाउस के पास से लगभग 60 मीटर केबिल काट कर ले गये। गार्ड की प्वाइंट्स पर मौजूदगी का संकेत न मिलने पर सुरक्षा प्रभारी नारायण यादव एजेंसी के अन्य गार्डो के साथ खदान क्षेत्र में पहुंचे और घायल गार्ड को साथ लेकर उपचार के लिए पहुंचाया।
वैसे खदानों में कॉपर केबिल कटिंग की वारदातों को लेकर निजी सुरक्षा एजेंसियां भी संदेह के घेरे में हैं, जिनका प्रबंधन स्थानीय लोगों ने अपने हाथों में ले रखा है। “चोरियों पर अंकुश लगाने के लिए एनसीएल को सुरक्षा गार्ड की भर्ती करनी होगी। निजी सुरक्षा कंपनियों पर कागजी निर्देश चलते हैं, उनके पीछे कई और लोग होते हैं। एनसीएल को सभी खदानों की सुरक्षा सीआईएसएफ के हवाले कर देनी चाहिए, तभी चोरियों पर अंकुश लगाया जा सकता है।”-पीएस पांडेय, रीजनल सेक्रेटरी सीटू
“चोरी की वारदातों की जानकारी मिली है, जांच की जा रही है, जो भी डैमेज और लॉस हुए हैं उसकी रिकवरी संबंधित निजी सुरक्षा एजेंसी से की जाएगी। बावजूद इसके एजेंसी की तरफ से लापरवाही साबित होती है तो कार्रवाई की जायेगी।”-राम विजय सिंह, पीआरओ एनसीएल