निजी क्षेत्र में टाटा स्टील द्वारा जमशेदपुर की इकाई में इस तरीके का प्लांट पिछले वर्ष 2021 में सितंबर महीने में शुरू हुआ है। इसके बाद एनटीपीसी ने तापीय विद्युत परियोजनाओं में कार्बन कैप्चर प्लांट स्थापित करने की योजना बनाई है। शुरुआत यहां विंध्याचल परियोजना से की जा रही है। यहां प्लांट सफल होने के बाद दूसरी तापीय विद्युत परियोजनाओं के लिए प्रक्रिया शुरू की जाएगी। निजी विद्युत उत्पादक कंपनियों के लिए भी यह प्लांट स्थापित करना अनिवार्य होगा। वर्तमान में इस तरह का प्लांट देश के किसी भी तापीय विद्युत परियोजनाओं में नहीं है।
प्रदूषण से मिलेगी बड़ी राहत
ऊर्जाधानी सिंगरौली वायु प्रदूषण के मामले में देश पहले नंबर पर रहता है। कार्बन डाइऑक्साइड के अलावा सल्फर डाइऑक्साइड वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण है। सल्फर डाइऑक्साइड से राहत के लिए वर्तमान में परियोजना की सभी यूनिटों में एफजीडी (फ्लू गैस डि-सल्फराइजेशन) सिस्टम लग रहा है। अब कॉर्बन से राहत को लेकर कवायद शुरू की गई है। अधिकारियों के मुताबिक सबसे पहले कार्बन कैप्चर प्लांट 13 नंबर यूनिट में लगाया जाएगा। इसके बाद बाकी की अन्य 12 यूनिटों में प्लांट लगाने पर विचार किया जाएगा।
जिप्सम की तरह मिलेगा मिथेनाल
अधिकारियों ने बताया कि जिस तरह से एफजीडी सिस्टम लगाने से सल्फर डाइऑक्साइड जिप्सम में तब्दील हो जाएगा। उसी प्रकार कार्बन कैप्चर प्लांट में कार्बन का परिवर्तन मिथेनाल में होगा। कैप्चर प्लांट से हर रोज 10 टन मिथेनाल प्राप्त होगी। इसका उपयोग डीजल और कोयला जलाने में किया जा सकेगा।