परिजनों के मुताबिक केरवा टोला में गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण और जांच कभी नहीं होती है।मालूम नहीं चल पाता है कि गर्भवती महिलाएं एनीमिक हैं। यही वजह है प्रसव के दौरान मौत हो रही है। परिजनों ने एएनएम, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पर आरोप लगाते हुये कहा है कि, आंगनबाड़ी केन्द्र में गर्भवती और धात्री महिलाओं को पौष्टिक आहार नहीं मिलता है। कुपोषित गर्भवती महिलाएं तकलीफ बर्दाश्त नहीं कर पातीं। अक्सर एनीमिक महिलाओं की मौत हो जाती है।
सरकार ने भले ही स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर बनाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य केन्द्र बनाएं हैं। लेकिन, उनमें न तो चिकित्सक हैं और न ही दवाएं। ऐसी परिस्थितियों में ग्रामीण अचंल के मरीज स्वास्थ्य केन्द्रों में उपचार के लिए जाते हैं तो उन्हें बिना उपचार वापस लौटना पड़ता है।
केरवा टोला में महीनेभर के दौरान तीन प्रसूताओं की मौत हो चुकी है। पहली मौत 9 जुलाई को सविता पांडू पति रामनरेश पांडू की हुई। उसका बच्चा स्वस्थ्य है। दूसरी मौत 24 जुलाई को संगीता बसोर पति श्रवण बसोर की हुई थी। इसमें भी स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही सामने आई है। इसके बाद शुक्रवार की रात सुशीला पति अमृतलाल यादव की मौत हो गर्ई।
डॉ. आरपी पटेल, सीएमएचओ सिंगरौली