मुआवजा वितरण की प्रक्रिया में उलझा दो नई कोल खदानों का श्रीगणेश
अभी और करना होगा इंतजार....

सिंगरौली. पर्याप्त मात्रा में कोयला उपलब्ध होने की आस लगाए बैठी विद्युत उत्पादक कंपनियों का इंतजार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। प्रक्रिया पूरी करने में लगे अधिकारी एक बार फिर से अभी छह महीने का और वक्त लगने की बात कर रहे हैं। लंबित प्रक्रियाओं के मद्देनजर मालूम पड़ता है कि दो नई कोल खदानों का श्रीगणेश होने में अभी कम से कम छह महीने का वक्त लगेगा। अभी तो भू-अर्जन सहित कई अन्य प्रक्रिया पूरी करना बाकी है।
जिले में एपीएमडीसी व टीएचडीसी की ओर से एक-एक कोल खदान शुरू किया जाना है। आंध्र प्रदेश की कंपनी एपीएमडीसी की ओर से शुरू की जाने वाले खदान के लिए देवसर व सरई क्षेत्र के झलरी, डोंगरी, मझौली पाठ, आमाडांढ़, सिरसवाह, बेलवार व बजौड़ी गांवों में भूअर्जन की प्रक्रिया जारी है। झलरी व मझौली को छोडक़र बाकी के गांवों के विस्थापितों में मुआवजा वितरण किया जा रहा है। दो गांवों में अभी यह प्रक्रिया शुरू ही नहीं हुई है।
अधिकारियों के मुताबिक बाकी के अन्य गांवों में भी अभी 20 फीसदी लोगों को मुआवजा दिया जाना बाकी है। हालांकि इसे जल्द पूरा किए जाने की बात की जा रही है। गौरतलब है कि इन गांवों में 2.5 हजार हेक्टेयर रकबे में खनन का कार्य शुरू किया जाना है। इधर टीएचडीसी की ओर से बरगवां क्षेत्र के पिडऱवाह गांव में खदान के श्रीगणेश संबंधित प्रक्रिया को भी अभी तक पूरा नहीं किया जा सका है। बता दें कि टीएचडीसी की ओर से 1600 हेक्टेयर में खदान शुरू किया जाना है।
वन व पर्यावरण विभाग से मंजूरी मिलना अभी बाकी
कंपनी प्रतिनिधि की माने तो अभी खदान शुरू करने के लिए पर्यावरण व वन विभाग की मंजूरी भी नहीं मिल सकी है। इसके लिए महीनों पहले आवेदन किया गया है, लेकिन अभी तक प्रक्रिया अधर में है। माना जा रहा है कि बिना इन दोनों विभाग से एनओसी मिले खनन का कार्य शुरू कर पाना संभव नहीं है।
स्थानीय के साथ बाहरी ग्राहक भी कर रहे इंतजार
खदानों के शुरू होने का इंतजार स्थानीय कंपनियों के साथ उत्तर प्रदेश की विद्युत उत्पादक कंपनियों को भी है। कंपनी के अधिकारियों की माने तो जहां टीएचडीसी बाहर के ग्राहकों को कोयला देगी। वहीं एपीएमडीसी की ओर से बाहरी ग्राहकों के साथ स्थानीय विद्युत उत्पादक कंपनियों को भी कोयला उपलब्ध कराया जाएगा। खदानों के शुरू होने पर स्थानीय कंपनियों को सस्ते दर पर कोयला मिल सकेगा।
अभी 100 मीट्रिक टन कोयले की हर रोज खपत
कोल कंपनियों के अधिकारियों के मुताबिक ऊर्जाधानी में अभी करीब 100 मीट्रिक टन कोयले की खपत की जा रही है। अकेले एनसीएल 80 मीट्रिक टन कोयला हर रोज अपने ग्राहकों को देता है। बाकी का 20 टन कोयला अन्य दूसरी कंपनी खुद से उत्पादन कर उपयोग में लाती हैं। दो नई खदान शुरू होने की स्थिति में हर रोज कोयले की उपलब्धता 150 मीट्रिक टन के करीब पहुंचने की संभावना है।
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