बेटी पैदा होने पर लेने से किया इंकार, पड़ोसी के बेटे पर जताया हक
सिंगरौलीPublished: Dec 02, 2016 07:53:00 am
जिला चिकित्सालय में हंगामा, समझाइश के बाद विवाद टला, डीएनए टेस्ट से पता चलेगा कौन किसका बच्चा, सिविल सर्जन एवं आरएमओ पहुंचे
सिंगरौली। जिला चिकित्सालय के गायनी वार्ड में बुधवार रात बच्चा बदलने के संदेह में जमकर हंंगामा हुआ। दुद्धिचुआ निवासी नागेन्द्र सिंह कुशवाहा ने आरोप लगाया कि पड़ोस के बेड में मौजूद महिलाओं ने उसके बच्चे को बदल लिया है। वह देखते ही देखते हंगामा शुरू कर दिया और बच्चे पर हक जताकर विवाद करने लगा।
एक बच्चे पर दो लोग हक जताने लगे और बेटी को कोई अपनाने को राजी नहीं हो रहा था। इस विवाद ने अस्पताल प्रबंधन के लिए मुश्किल खड़ी कर दी।
ड्यूटी कर रही नर्स नागेन्द्र सिंह को विश्वास दिलाने की कोशिश करती रहीं कि उसकी पत्नी ने बच्ची को जन्म दिया है न की बेटा को। इसके बाद भी वह मानने को तैयार नहीं हुआ। वह वार्ड में ड्यूटी कर रही नर्सों पर आरोप लगाया कि उसे काफी समय तक बाहर रोके रखा गया। दिन भर अंदर नहीं जाने दिया गया। इसी दौरान उसके बच्चे को पड़ोसी बेड वालों ने बदल लिया।
यह है पूरा मामला
गर्भवती महिला शान्ति देवी पति नागेन्द्र सिंह कुशवाहा ( 35) निवासी दुद्धिचुआं को 29 नवंबर की शाम जिला अस्पताल के गायनी वार्ड में भर्ती कराया गया। शान्ति देवी के साथ अन्य कोई सहयोगी महिला नहीं थी। उसका पति नागेन्द्र सिंह कुशवाहा ही उसके साथ था। बुधवार दोपहर शान्ति देवी ने बच्ची को जन्म दिया। इसके बाद उसके काफी समय तक उसके पति को सूचना नहीं मिली। इस दौरान वह अंदर गायनी वार्ड में जाने को कोशिश कर रहा था लेकिन वहां ड्यूटी कर रहे गार्ड एवं नर्सों ने उसे अंदर नहीं जाने दिया, जिससे उसे इस बात का संदेह हुआ की कहीं उसके बच्चे को बदल न दिया जाए।
पड़ोस के बेड में मौजूद महिलाओं से झगड़ा करने लगा
काफी देर बात जब वह अंदर गया तो उसे बताया गया कि बच्ची हुई है, आस – पास बेड में भी छोटे बच्चे पड़े थे। वह भड़क गया और पड़ोस के बेड में मौजूद महिलाओं से झगड़ा करने लगा। ड्यूटी कर रही नर्स स्टाफ से भी विवाद करने लगा। मामला सिविल सर्जन डॉ. के एल पाण्डेय तक पहुंचा तो वे मौके पर पहुंचे। उन्होंने पूरे मामले को समझा और इसके बाद नागेन्द्र सिंह को समझाइस दी की, उन्होंने उसे बताया कि डीएनए टेस्ट होगा तो झूठ और सही का पता चल जाएगा। इसके बाद जो झूठ बोल रहा होगा उसे जेल जाना होगा।
फिर से हंगामा न करने लगे
उनकी समझाइस के बाद नागेन्द्र सिंह मान गया और फिर बच्ची को अपना लिया। इसके बाद शान्ति देवी को जिला अस्पताल से आनन – फानन में छुट्टी दे दी गई। अस्पताल प्रबंधन को इस बात का डर था कि कहीं फिर से हंगामा न करने लगे। ऐसे में इसे छुट्टी देना ही उचित है। गुरुवार दोपहर उसे छुट्टी दे दी गई।