scriptखेती में प्रयोग पर आधारित गतिविधियों में लगा ग्रहण, नहीं लगी फसल | Eclipsed in activities based on use in agriculture, no crop | Patrika News

खेती में प्रयोग पर आधारित गतिविधियों में लगा ग्रहण, नहीं लगी फसल

locationसिंगरौलीPublished: Aug 10, 2022 11:12:47 pm

Submitted by:

Ajeet shukla

सिंचाई सुविधा के अभाव के बीच वैज्ञानिकों की कमी बनी कारण25 एकड़ के कृषि प्रक्षेत्र का ज्यादातर रकबा पड़ती, योजनाएं फेल

Farmer's paddy in grip of drought, now sowing of pulses and oilseeds

Farmer’s paddy in grip of drought, now sowing of pulses and oilseeds

सिंगरौली. खेती पर आधारित प्रयोग को लेकर कृषि विज्ञान केंद्र को 25 एकड़ का कृषि प्रक्षेत्र भले ही उपलब्ध करा दिया गया हो, लेकिन प्रयोग की गतिविधियां योजना के अनुरूप शुरू नहीं हो पाई हैं। सिंचाई सुविधा के अभाव के बीच कृषि वैज्ञानिको की कमी प्रयोग आधारित गतिविधियों पर अमल करना संभव नहीं हो पा रहा है।
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रक्षेत्र में खरीफ की फसल चक्र में वैज्ञानिक मंसा के अनुरूप प्रयोग नहीं कर पा रहा है। केंद्र में केवल दो वैज्ञानिकों की पदस्थापना इसकी मुख्य वजह है। सिंचाई की सुविधा नहीं होने के बीच वैज्ञानिकों की कमी ने प्रयोग पर लगाम लगा दिया है। जबकि प्रयोग आधारित खेती के लिए केंद्र में कम से 4 कृषि वैज्ञानिकों की सख्त आवश्यकता है। केंद्र में पदस्थ दो वैज्ञानिकों में से एक वैज्ञानिक डॉ. अखिलेश चौबे के अस्वस्थ होने के चलते प्रयोग कार्यों में और असर पड़ा है।
प्रशासन भी प्रयोग को लेकर उदासीन
जिला प्रशासन भी कृषि में प्रयोग को लेकर बहुत अधिक रुचि नहीं ले रहा है। यही वजह है कि दो बार बोरिंग का प्रयास करने के बाद भी सफल नहीं होने से सिंचाई की व्यवस्था नहीं हो पाई है। प्रशासन इसके बाद दूसरे विकल्पों पर गौर नहीं कर रहा है।
केवल अरहर व उड़द की बोवनी
कृषि प्रक्षेत्र में अब की बार केवल अरहर व उड़द की फसल पर प्रयोग करने के लिए बोवनी की गई है। वह भी केवल कुल किस्मों तक सीमित है। बारिश होने के बाद धान की कम सिंचाई वाली कुछ किस्मों की बोवन अब जाकर की गई है।
केंद्र को स्टॉफ मिले तो बने बात
कृषि विज्ञान केंद्र में वैज्ञानिकों का स्टॉफ बढ़े तब जाकर प्रयोग में तेजी आएगी। गौरतलब है कि रीवा व सीधी सहित अन्य कृषि विज्ञान केंद्रों में वैज्ञानिक स्वीकृत पद और सिंगरौली की तुलना में काफी अधिक हैं। इन केंद्रों से यहां सिंगरौली में वैज्ञानिकों को भेजा जाए तो प्रयोग में तेजी आएगी।
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