जिला प्रशासन भी कृषि में प्रयोग को लेकर बहुत अधिक रुचि नहीं ले रहा है। यही वजह है कि दो बार बोरिंग का प्रयास करने के बाद भी सफल नहीं होने से सिंचाई की व्यवस्था नहीं हो पाई है। प्रशासन इसके बाद दूसरे विकल्पों पर गौर नहीं कर रहा है।
कृषि प्रक्षेत्र में अब की बार केवल अरहर व उड़द की फसल पर प्रयोग करने के लिए बोवनी की गई है। वह भी केवल कुल किस्मों तक सीमित है। बारिश होने के बाद धान की कम सिंचाई वाली कुछ किस्मों की बोवन अब जाकर की गई है।
कृषि विज्ञान केंद्र में वैज्ञानिकों का स्टॉफ बढ़े तब जाकर प्रयोग में तेजी आएगी। गौरतलब है कि रीवा व सीधी सहित अन्य कृषि विज्ञान केंद्रों में वैज्ञानिक स्वीकृत पद और सिंगरौली की तुलना में काफी अधिक हैं। इन केंद्रों से यहां सिंगरौली में वैज्ञानिकों को भेजा जाए तो प्रयोग में तेजी आएगी।