कंपनी का यह कारनामा न केवल ग्रामीणों के बीच बल्कि सोशल मीडिया पर मजाक बना हुआ है। मामला कंपनी के कार्यालय में पहुंचने के बाद वहां भी हड़कंप जैसी स्थिति है। विभाग की ओर से 80 हजार अरब का बिल डिग्घी के ऋचिकन राम तिवारी के नाम जारी हुआ है। संज्ञान में आने पर कंपनी के अधिकारी इसे मानवीय भूल बता रहे हैं। हकीकत में उनका बिल माइनस 68 रुपए है। अधिकारियों के मुताबिक नया बिल जनरेट कर उपभोक्ता को उपलब्ध करा दिया गया है।
काउंटर पर लगती है लंबी लाइन
कंपनी के अधिकारी भले ही इस मामले में मानवीय भूल का हवाला देते हो, लेकिन हकीकत यह है कि इस स्थिति की मूल वजह बिल जनरेट करने वाले कंपनी के अधिकारियों की बेपरवाही है। दायित्वों के निवर्हन में उनकी लापरवाही के चलते हजारों की संख्या में उपभोक्ताओं को त्रुटिपूर्ण बिल मिल रहा है। यही वजह है कि बिल जमा करने की ऑनलाइन व्यवस्था के बावजूद विभाग में काउंटर पर लंबी लाइन लगती है। लाइन में लगे ज्यादातर लोग त्रुटिपूर्ण बिल से संबंधित होते हैं।
काउंटर पर लगती है लंबी लाइन
कंपनी के अधिकारी भले ही इस मामले में मानवीय भूल का हवाला देते हो, लेकिन हकीकत यह है कि इस स्थिति की मूल वजह बिल जनरेट करने वाले कंपनी के अधिकारियों की बेपरवाही है। दायित्वों के निवर्हन में उनकी लापरवाही के चलते हजारों की संख्या में उपभोक्ताओं को त्रुटिपूर्ण बिल मिल रहा है। यही वजह है कि बिल जमा करने की ऑनलाइन व्यवस्था के बावजूद विभाग में काउंटर पर लंबी लाइन लगती है। लाइन में लगे ज्यादातर लोग त्रुटिपूर्ण बिल से संबंधित होते हैं।
बिल में देखने को मिल रही कुछ ऐसी त्रुटियां
– बिल की रकम इतनी अधिक होती है कि भरोसा करना मुमकिन नहीं होता।
– ज्यादातर बिल में बिना मीटर रीडिंग के लिए तैयार कर भेजे जा रहे हैं।
– बिजली के बिल में माइनस में बिल आने जैसी त्रुटियां भी अधिक हैं।
– बिल जमा होनेे के बावजूद पिछली राशि में अगले महीने जुड़कर आ रही है।
– बिल की रकम इतनी अधिक होती है कि भरोसा करना मुमकिन नहीं होता।
– ज्यादातर बिल में बिना मीटर रीडिंग के लिए तैयार कर भेजे जा रहे हैं।
– बिजली के बिल में माइनस में बिल आने जैसी त्रुटियां भी अधिक हैं।
– बिल जमा होनेे के बावजूद पिछली राशि में अगले महीने जुड़कर आ रही है।