कोविड संक्रमण की तीसरी लहर में सुरक्षा के मद्देनजर स्कूल बंद होने पर 15 जनवरी को छात्रों को यह कहते हुए घर भेज दिया गया कि स्कूल खुलने के बाद उन्हें बुला लिया जाएगा, लेकिन उन्हें बुलाने की बात तो दूर छात्रों को छात्रावास में पहुंचने के बाद भी यह कह कर वापस लौटा दिया गया कि अभी आदेश नहीं है। आदेश जारी होने के बाद उन्हें बुलाया जाएगा, लेकिन अभी तक छात्रों को बुलाया नहीं गया है।
मौके पर नहीं मिले एक भी छात्र
छात्रों को छात्रावास में नहीं बुलाए जाने के पीछे की वजह यह है कि वहां बाहरी लोगों ने कब्जा जमा रखा है। हालांकि, छात्रों की शिकायत पर हकीकत जानने पहुंची पत्रिका टीम को बाहरी लोगों ने खुद को विभाग का कर्मचारी बताया। छात्रावास के दोनों भवनों में एक भी छात्र नहीं मिला। दो भवन में बाहरी लोगों की गृहस्थी देखी गई।
छात्रों को छात्रावास में नहीं बुलाए जाने के पीछे की वजह यह है कि वहां बाहरी लोगों ने कब्जा जमा रखा है। हालांकि, छात्रों की शिकायत पर हकीकत जानने पहुंची पत्रिका टीम को बाहरी लोगों ने खुद को विभाग का कर्मचारी बताया। छात्रावास के दोनों भवनों में एक भी छात्र नहीं मिला। दो भवन में बाहरी लोगों की गृहस्थी देखी गई।
नहीं पहुंच रहे स्कूल
छात्रावास में रहने वाले ज्यादातर छात्र दूरदराज गांव के हैं और यहां शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैढ़न सहित अन्य दूसरे स्कूल में पढ़ाई करते हैं। छात्रावास में ठौर नहीं मिलने के चलते छात्र स्कूलों में भी ज्यादातर दिन अनुपस्थित रहे हैं।
छात्रावास में रहने वाले ज्यादातर छात्र दूरदराज गांव के हैं और यहां शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैढ़न सहित अन्य दूसरे स्कूल में पढ़ाई करते हैं। छात्रावास में ठौर नहीं मिलने के चलते छात्र स्कूलों में भी ज्यादातर दिन अनुपस्थित रहे हैं।
अभी कुछ दिन पहले. आया हैं आदेश
छात्रावास में छात्रों को ठौर नहीं मिलने की शिकायत के मामले में अधीक्षक का कहना है कि अभी कुछ दिन पहले ही आदेश आया है। छात्रों को सूचना दे दी गई है। जल्द ही वह आएंगे तो उनके लिए छात्रावास में व्यवस्था बना दी जाएगी। छात्र नहीं थे, इसलिए मजदूर वर्ग के कर्मचारियों को सहारा दे दिया गया था।
छात्रावास में छात्रों को ठौर नहीं मिलने की शिकायत के मामले में अधीक्षक का कहना है कि अभी कुछ दिन पहले ही आदेश आया है। छात्रों को सूचना दे दी गई है। जल्द ही वह आएंगे तो उनके लिए छात्रावास में व्यवस्था बना दी जाएगी। छात्र नहीं थे, इसलिए मजदूर वर्ग के कर्मचारियों को सहारा दे दिया गया था।