सिंगरौली

निपटी आपत्तियां, गोंड परियोजना चली साकार होने की ओर

निपटी आपत्तियां, गोंड परियोजना चली साकार होने की ओर

सिंगरौलीJan 13, 2019 / 06:05 pm

Anil kumar

Environment clearance is now just a month away

सिंगरौली. जिले के लिए महत्वाकांक्षी गोंड सिंचाई परियोजना को लेकर मिली आपत्तियों का निस्तारण हो गया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के स्थानीय कार्यालय ने नियमों के मापदंडों पर कसने और आपत्तियों को लेकर जल संसाधन विभाग के जवाब के साथ सभी दस्तावेज भोपाल रवाना कर दिए हैं। अब भोपाल व दिल्ली के बीच आपसी पत्राचार के बाद केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से परियोजना को एक-डेढ़ माह के अल्प समय में पर्यावरणीय मंजूरी मिल जाने का अनुमान जताया जा रहा है। करीब डेढ़ वर्ष पहले मंजूर हुई इस विशाल सिंचाई परियोजना से केवल सिंगरौली ही नहीं पड़ोस के जिले सीधी को भी लाभ मिलना है।
जल संग्रहण को बनेगा तालाब
गोंड सिंचाई परियोजना के तहत सरई तहसील के गांव जालपानी में गोपद नदी में बांध बनाया जाएगा। इसके साथ ही बांध के पास जल संग्रहण तालाब का निर्माण होगा जहां से बरगवां के पास पहाड़ पर टैंक का निर्माण कर वहां तक पाइप के जरिए पानी लाया जाएगा। यहां से पानी को नहरों के जरिए परियोजना क्षेत्र में शामिल किए गए गांवों की भूमि तक सिंचाई के लिए भेजा जाएगा। दो जिलों के लिए बनी ११ सौ करोड़ रुपए से अधिक लागत वाली इस परियोजना के लिए निर्माण कार्य शुरु होने से पहले नियमानुसार केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से पर्यावरणीय मंजूरी ली जानी जरूरी है। इसके तहत ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के स्थानीय कार्यालय अधिकारियों के साथ जल संसाधन विभाग की ओर से परियोजना स्थल गांव जालपानी में १९ दिसम्बर को शिविर लगाया गया। इसमें परियोजना के तहत नदी में बांध व अन्य निर्माण से प्रभावित होने वाले जालपानी व आसपास के अन्य गांवों के ग्रामीणों की पर्यावरण संबंधी आपत्ति सुनी गई तथा उनका लिखित संकलन किया गया। इस दिन शिविर में जालपानी व अन्य गांवोंं के ग्रामीणों की ओर से परियोजना को लेकर कुल ५१ आपत्ति दी गई।
पर्यावरण सुरक्षित रहेगा
इसके बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड स्थानीय कार्यालय की ओर से सभी आपत्तियों के संबंध में जल संसाधन विभाग को अपना पक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया। इस पर जल संसाधन विभाग के स्थानीय अधिकारियों ने हर आपत्ति का बिंदूवार जवाब देते हुए इस परियोजना को बड़े क्षेत्रफल व दोनों जिलों के १६४ गांवों को सिंचाई का लाभ मिलने के तर्क सहित अपना पक्ष दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के स्थानीय कार्यालय को प्रस्तुत कर दिया। बताया गया कि जल संसाधन विभाग ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को पेश जवाब में गोंड सिंचाई परियोजना के लिए गोपद नदी में बांध व उसके आसपास अन्य निर्माण कराए जाने से वहां के पर्यावरण पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पडऩे का तर्क दिया है। जल संसाधन विभाग की ओर से अपने जवाब के साथ जालपानी व उसके आसपास गांवों में परियोजना के परिपे्रक्ष्य में लगभग डेढ़ वर्ष तक वैज्ञानिक आधार पर अध्ययन करने वाली एजेंसी की रिपोर्ट भी संलग्न की गई है। इसमें परियोजना लागू होने से संबंधित क्षेत्र में भूगर्भ, हवा, वनस्पति, जनजीवन व जीव-जंतुओं पर कोई विपरीत असर नहीं पडऩे का दावा किया गया है।
आपत्ति निस्तारण के बाद भोपाल का रास्ता
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के स्थानीय क्षेत्रीय अधिकारी लोकेन्द्र त्रिवेदी ने बताया कि जन सुनवाई में आई आपत्तियों पर जल संसाधन विभाग के जवाब का परीक्षण कर उसे संतोषजनक मानते हुए इसी माह के प्रथम सप्ताह में प्रतिवेदन आगामी कार्रवाई के लिए वन विभाग के भोपाल कार्यालय को भेज दिया गया। त्रिवेदी के अनुसार अब भोपाल मेंं वन विभाग की राज्य कमेटी इसका निरीक्षण करेगी तथा वहां जल संसाधन विभाग की ओर से इस परियोजना के संबंध में सभी तथ्यों के साथ प्रजेंटेशन दिया जाएगा। इसके बाद संतुष्ट होने पर यह कमेटी अपनी अनुशंषा के साथ प्रकरण दिल्ली में केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेजेगी। उन्होंने बताया कि जन सुनवाई में मिली आपत्तियों का जवाब तथा वन विभाग की राज्य स्तरीय कमेटी की अनुशंषा का मापदंडों के आधार पर आकलन के बाद केन्द्रीय वन मंत्रालय से इस परियोजना की पर्यावरणीय मंजूरी जारी की जाएगी। त्रिवेदी ने इसमें एक-डेढ़ माह का समय लगने की संभावना जताई है। इसके बाद जल संसाधन विभाग की ओर से परियोजना के लिए निर्माण कार्य शुरु कराया जा सकेग।
लाभ के नजरिए से देखें
कार्यपालन यंत्री, जल संसाधन विभाग, बैढऩ आरएएस सिंह ने बताया कि गोंड परियोजना से सिंगरौली व सीधी जिलों के नौ गांवों में मात्र १६२ परिवार विस्थापित होंगे जबकि १६४ गांवों की ३३ हजार हेक्टेयर भूमि को सिंचाई सुविधा मिलेगी। विभाग डूब में आने वाले परिवारों को नियमानुसार मुआवजा, आवास व अन्य लाभ देगा। गांव जालपानी के पास गोपद नदी में बांध व अन्य निर्माण कार्य चार वर्ष में पूरे होंगे। जालपानी में जन सुनवाई में आई सभी आपत्तियों का प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जवाब प्रस्तुत कर दिया है। वन विभाग की राज्य स्तरीय कमेटी में अपना पक्ष रखने व प्रजेंटेशन देने की तैयारी हो गई है। इस परियोजना को बड़े लाभ के नजरिए से देखा जाना चाहिए।

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