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किसानों की उपज का अभी करोड़ों बाकी, महीने भर बाद भी नहीं हुआ भुगतान

locationसिंगरौलीPublished: Feb 24, 2020 12:18:06 pm

Submitted by:

Ajeet shukla

धान उपार्जन का मामला….

Farmers of Singrauli who sold paddy have not yet been paid

Farmers of Singrauli who sold paddy have not yet been paid

सिंगरौली. शासन को समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले काफी किसानों के हाथ अब तक खाली हैं। अपनी उपज बिक्री का एक पैसा भी अब तक इन किसानों की जेब में नहीं आया। जबकि शासन की ओर से खरीद के एक सप्ताह बाद ही उपज का दाम किसानों के खाते में जमा करने का दावा किया जाता रहा है लेकिन स्थिति हकीकत से कोसों दूर है। आलम यह है कि जिले में समर्थन मूल्य पर धान की खरीद बंद हुए एक माह से अधिक समय बीत गया लेकिन बड़ी संख्या में किसान अब तक दाम से वंचित हैं।
जिले सहित समूचे प्रदेश मेें समर्थन मूल्य पर धान की खरीद 20 जनवरी को बंद हुई थी। इसके बाद शासन के दावे के तहत जनवरी माह में ही धान बेचने वाले सभी किसानों को उनकी उपज का दाम मिल जाना चाहिए था मगर हालत यह है कि अब तक धान बिक्री करने वालों में से भुगतान से बड़ी संख्या में किसान वंचित बताए गए। एेसे किसानों की संख्या पांच सौ के आसपास होने का अनुमान है। इस प्रकार समर्थन मूल्य पर धान बेचने के बाद अब किसानों को दाम के लिए शासन की ओर से ताकना पड़ रहा है।
शासन का पोर्टल ही जिले में धान खरीद के बाद इसके भुगतान में देरी का उदाहरण बताती है। शासकीय पोर्टल बताता है कि जिले में पूरे सीजन में सरकारी एजेंसियों ने लगभग सात लाख क्विंटल धान की समर्थन मूल्य पर खरीद की। इस पूरी खरीद के बदले शासन को जिले के किसानों को उनकी उपज के लिए लगभग 137 करोड़ 94 लाख रुपए का भुगतान करना था। मगर अब तक लगभग 98 करोड़ रुपए का भुगतान हो सका है। इस प्रकार अब तक किसानों को लगभग 40 करोड़ रुपए का भुगतान होना बाकी है। भुगतान में इस देरी से जिले में किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।
व्यवस्था की ढिलाई का नतीजा
किसानों को उपज के दाम भुगतान में देरी का कारण शासकीय प्रक्रिया अब तक अधूरी होना है। बताया गया कि अब तक कुछ धान का गोदाम में भंडारण नहीं हो पाया। उधर उपज का गोदाम में भंडारण होने के बाद ही किसान को उसके दाम का भुगतान किए जाने की व्यवस्था तय है। इस कारण जिले में किसानों का भुगतान अटका होना सामने आया है। पर शासन स्तर की इस ढिलाई का दंड जिले के लगभग पांच सौ किसानों को भुगतान पड़ रहा है। भुगतान में देरी के कारण काफी लघु व मध्यम वर्गीय किसान आर्थिक संकट से जूझने को विवश हैं।
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