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सिंगरौली

जिले के किसान श्री विधि से करें धान की रोपाई, कम पानी में अधिक होगा उत्पादन

विशेषज्ञों की राय : श्री विधि से धान की रोपाई से खर-पतवार नहीं उगते हैं

सिंगरौलीJun 20, 2019 / 05:45 pm

Anil singh kushwah

Farmers of the district should make the rice transplantation

Farmers of the district should make the rice transplantation

सिंगरौली. जिले में बड़े क्षेत्र में धान की रोपाई श्री विधि से करना अधिक लाभाकारी है। इससे कम पानी व कम बीज की जरूरत होती है तथा बिना खरपतवार धान का अच्छा उत्पादन होता है। उप संचालक कृषि आशीष पांडेय ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि परंपरागत विधि से किसान को प्रति हेक्टेयर 20 से 25 क्विंटल धान की उपज मिलती है। इसकी तुलना में श्री विधि से रोपाई पर प्रति हेक्टेयर 35 से 50 क्विंटल धान का उत्पादन होता है। इसलिए उन्होंने किसानों से श्री विधि से धान रोपण की अपील की है तथा इस तकनीक को किसानों के लिये वरदान बताया है।
कम पानी से मिलेगा अधिक उत्पादन
उप संचालक पांडेय ने बताया कि श्री विधि से रोपाई पर प्रति हेक्टेयर छह से आठ किलो बीज की जरूरत होती है। इसे विशेष तरह की प्लेट या पॉलीथिन में नर्सरी लगाकर तैयार किया जा सकता है। किसान इसके लिए 10 मीटर लंबी व पांच सेंटीमीटर ऊंची क्यारी बनाए। इसमें 50 किलो नाडेप या गोबर की खाद मिलाकर बीज की बोनी करे। इससे पहले बीज को थाईरम दवा से उपचारित कर हर क्यारी में 120 ग्राम बीज की बोनी करें। इसे ढककर हल्की सिंचाई करें। धान रोपाई के लिए गहरी जुताई कर खेत में खरपतवार नष्ट करें। पर्याप्त पानी देकर रोपाई के लिए खेत तैयार करें।
धान की खेतों में ऐसे करें रोपाई
इसमें नर्सरी में तैयार धान के 15 से 21 दिन के पौधे रोपित करें। इसके बाद खेत में मार्कर हल से 20-20 सेंटीमीटर दूरी पर निशान बनाकर वहां धान का केवल एक पौधा रोपित करना चाहिए। धान रोपित करने के 15 दिन बाद कम मात्रा में यूरिया का छिड़काव किया जा सकता है। इस विधि से धान लगाने पर खेत में पानी भरने की जरूरत नहीं होगी पर खेत में नमी की व्यवस्था करनी चाहिए। पौधों में वृद्धि के समय खेत को दो.तीन दिन सूखा छोड़ देना चाहिए। इसके बाद पुनरू हल्की सिंचाई करनी चाहिए।
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