जिला अस्पताल से जन्म प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए बृजेश पिछले दो दिन से कर्मचारियों और चिकित्सकों का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें प्रमाणपत्र जारी नहीं किया गया। दोपहर करीब दो बजे चिकित्सालय में प्रमाणपत्र मिलने के इंतजार में बैठे बृजेश जब पूछा गया कि क्यों बैठे हैं तो वह फूट-फूट कर रोने लगे। बोले सुबह से आकर बैठे हैं, लेकिन अभी तक प्रमाणपत्र नहीं मिला।जितनी बार पूछता हूं, अलग-अलग जवाब मिलता है।
बृजेश ने बताया कि प्रमाणपत्र अस्पताल की महिला कर्मचारी शशि श्रीवास्तव के पास है, लेकिन वह डॉक्टर के आने का इंतजार करने को बोलकर सुबह से बैठाए हैं। बताया कि गया कि बृजेश के बेटी के जन्म प्रमाणपत्र पर डॉ. उमेश श्रीवास्तव के साइन होने हैं और वह मीटिंग में व्यस्त हैं। जबकि डॉ. उमेश से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने कहा कि जन्म प्रमाणपत्र में साइन मीटिंग के दौरान भी कर दिया जाता है। संबंधित को भेजना चाहिए था।
बृजेश को तत्काल मिला जन्म प्रमाणपत्र
फिलहाल पत्रिका की ओर से की गई इस पूछताछ के बाद डॉक्टर व कर्मचारी दोनों सक्रिय हो गए। जिससे बृजेश को उनकी बेटी का जन्म प्रमाणपत्र तुरंत मिल गया। बृजेश का कहना रहा है कि महिला बाल विकास विभाग में जन्म प्रमाणपत्र जमा करने की गुरुवार को अंतिम तिथि बताई गई है। प्रमाणपत्र नहीं मिलता तो योजना के लाभ से वंचित हो जाते।
बृजेश को तत्काल मिला जन्म प्रमाणपत्र
फिलहाल पत्रिका की ओर से की गई इस पूछताछ के बाद डॉक्टर व कर्मचारी दोनों सक्रिय हो गए। जिससे बृजेश को उनकी बेटी का जन्म प्रमाणपत्र तुरंत मिल गया। बृजेश का कहना रहा है कि महिला बाल विकास विभाग में जन्म प्रमाणपत्र जमा करने की गुरुवार को अंतिम तिथि बताई गई है। प्रमाणपत्र नहीं मिलता तो योजना के लाभ से वंचित हो जाते।