जानकारी के अनुसार नागरिक आपूर्ति निगम ने सिंगरौली जिले के लिए ढाई लाख क्विंटल चावल आवंटित किया गया था। जिसे मिलरों ने गोदामों तक पहुंचा दिया था। चावल घटिया होने के शक पर वितरण रोककर जांच कराई गई। फूड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआइ) की टीम जिले में पहुंची और विभिन्न गोदामों से 135 सैंपल जुटाए। इनकी आई जांच रिपोर्ट में डेढ़ लाख क्विंटल चावल की गुणवत्ता खराब पाई गई। इसे वितरण योग्य नहीं माना गया है। एफसीआइ ने केवल एक लाख क्विंटल चावल वितरण की अनुमति दी है, बाकी को रिजेक्ट कर दिया है।
महामारी में बांट चुके 2 लाख क्विंटल नागरिक आपूर्ति निगम के सूत्रों की माने तो लॉकडाउन और महामारी के दौरान जिले में दो लाख क्विंटल चावल का वितरण सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों से किया गया था। जिस तरह से गोदामों में रखा 60 फीसदी चावल घटिया पाया गया है। इस अनुपात में बड़ी मात्रा में खराब चावल पहले ही बांट दिया गया था। इसके लिए मिलरों से लेकर नागरिक आपूर्ति व खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारी तक जिम्मेदार है।
कार्रवाई को लेकर कन्नी काट रहे अधिकारी राशन की दुकानों से हितग्राहियों में वितरण के लिए जिले में भंडारित 2.5 लाख क्विंटल चावल 13 मीलरों से प्राप्त हुआ है। इनमें से 11 मीलरों का चावल रिजेक्ट बताया गया है। खराब चावल को नागरिक आपूर्ति व खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारियों ने गरीब हितग्राहियों में वितरित कराया है। फिलहाल प्रशासन की ओर से अभी किसी पर कोई कार्रवाई नहीं जा रही है। रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई को लेकर शासन स्तर से मार्ग दर्शन मांगा गया है।
राशन की दुकानों में भेजा जा रहा चावल अधिकारियों के मुताबिक रिपोर्ट आने के बाद तत्काल हरकत में आए अधिकारियों ने गोदामों से चावल का वह स्टॉक उचित मूल्य की दुकानों में भेजना शुरू कर दिया है, जिसे एफसीआइ द्वारा कराई गई जांच में हरीझंडी मिली है। लेकिन अधिकारी इस बात को लेकर परेशान हैं कि वितरण के लिए उपलब्ध स्टॉक अपर्याप्त है।
वर्जन – एफसीआइ की ओर से जो सेंपल जांच के लिए लिया गया था, उसमें एक लाख क्विंटल से अधिक चावल वितरण योग्य पाया गया है। वर्तमान में 2.5 लाख क्विंटल चावल गोदामों में भंडारित है। बाकी का चावल भी ग्रेडिंग कर वितरित किया जा सकता है। मार्गदर्शन मांगा गया है।
आरपी पाण्डेय, सुपरवाइजर नागरिक आपूर्ति निगम सिंगरौली।