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त्योहारी सीजन में मिलावटखोरों को मिली लूट की छूट, बिना रजिस्ट्रेशन बेच रहे खाद्य सामग्री

locationसिंगरौलीPublished: Sep 21, 2018 03:25:45 pm

Submitted by:

suresh mishra

दुकानदारों के पास नहीं रजिस्ट्रेशन, सरकारी मिलीभगत से बेच रहे अनुपयोगी खाद्य सामग्री, जिले में रजिस्टर्ड दुकानें-5540

Foods Selling Without Registration in singrauli

Foods Selling Without Registration in singrauli

सिंगरौली। त्योहारी सीजन में मिलावटखोरों को मिलावट करने की खुली छूट दे दी गई है। जिम्मेदार हाथ पर हाथ रखे बैठे हैं। पत्रिका ने गुरुवार को मिलावटी खाद्य पदार्थों एवं नकली दवाओं पर लगाम लगाने के लिए करीब छह साल पहले बनाए नए कानून पर अमल किए जाने की पड़ताल की तो पाया कि खाद्य पदार्थों की बिक्री करने वाले किसी भी दुकानदार के पास रजिस्ट्रेशन कार्ड नहीं है।
पड़ताल के दौरान शहर के करीब दर्जनभर दुकानदारों से बातचीत की गई। उनमें से ज्यादातर दुकानों का रजिस्ट्रेशन भी नहीं मिला। कार्ड बनवाने की बात तो दूर है। शहर के हर चौराहे पर खाने-पीने की दुकानें खुली हैं पर खाद्य पदार्थों की बिक्री करने वालों को विभाग की ओर से मिलावटखोरी की खुली छूट दे दी गई है।
छह साल पहले बना था नया कानून
खाद्य पदार्थों में मिलावटखोरी रोकने और नकली दवाओं पर लगाम लगाने के लिए करीब छह साल पहले समूचे देश में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग का गठन किया गया था। इस कानून के तहत 12 लाख रुए से कम सालाना टर्न ओवर वाले कारोबारियों को सिर्फ रजिस्ट्रेशन कराना था। इसकी फीस सिर्फ 100 रुपए सालाना तय की गई थी। साथ ही सभी खाद्य पदार्थ बेचने वाले दुकानदारों को रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य था। विभाग की ओर से नई व्यवस्था के तहत रजिस्ट्रेशन कराने वाले दुकानदारों को फोटोयुक्त रजिस्ट्रेशन कार्ड विभाग की ओर से जारी किए जाने थे।
व्यापारियों को लाइसेंस लेने की अनिवार्यता

पड़ताल में यह बात सामने आई कि गुमटियों या सड़क के किनारे खाद्य पदार्थ बेचने वाले किसी दुकानदार के पास रजिस्ट्रेशन कार्ड नहीं है। जबकि पूरे जिले में दस हजार से ज्यादा खाद्य पदार्थ बेचने वाले दुकानदार गुमटियों या सड़क के किनारे दुकान लगाए बैठे हैं। नए प्रावधान के मुताबिक, 12 लाख या इससे अधिक सालाना टर्न ओवर करने वाले व्यापारियों को लाइसेंस लेने की अनिवार्यता है। टर्नओवर के हिसाब से लाइसेंस फीस दो हजार रुपए से लेकर पांच हजार सालाना तय की गई है। जिले में इस तरह की दुकानें भी लगभग तीन हजार के आसपास हैं। हालांकि विभाग के पास इस बारे में कोई ठोस सूची नहीं है।
दंड का प्रावधान
नई व्यवस्था के तहत मिलावटखोरों के खिलाफ 10 लाख रुपए का जुर्माना और आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है। अगर किसी खाद्य पदार्थ में साधारण मिलावट पाई गई तो तीन लाख रुपए तक का जुर्माना होगा। साधारण मिलावट से संबंधित मुकदमे की सुनवाई एडीएम स्तर का अधिकारी करेगा। खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम के तहत खाद्य पदार्थ में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तत्वों की मिलावट पाए जाने पर अधिकतम 10 लाख तक का जुर्माना व आजीवन कारावास भी हो सकता है। गभीर किस्म की मिलावट के मुकदमे की सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश के कोर्ट में दाखिल किए जाते हैं।
नई व्यवस्था कागजों में दफन
जिले में सिर्फ दो अधिकारी साबिर अली खान और पुष्पक द्विवेदी हैं। स्टाफ कम हाने की वजह से प्रक्रिया धीमी है। इसीलिए नई व्यवस्था इस जिले में सुचारू रूप से चल नहीं सकी। लिहाजा, मिलावट खोरी का धंधा धड़ल्ले से चल रहा है। नई व्यवस्था के तहत सरकारी प्रयोगशालाओं के साथ ही हर मंडल के लिए निजी प्रयोग शाला का चयन किया जाना था। शायद ऐसा नहीं हो पाया। तभी तो सैंपल जांच के लिए भोपाल भेजे जाते हैं। नई व्यवस्था में कारोबारियों को यह छूट दी गई है कि अगर उन्हें सरकारी प्रयोगशाल की जांच पर संदेह हो तो वे निजी प्रयोगशाला में खाद्य पदार्थों की जांच करा सकें।
रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया ऑनलाइन है। दुकानदार खुद रजिस्ट्रेशन करा सकता है। फिलहाल विभाग की ओर से जांच चल रही है। दुकानदारों को अधिक से अधिक रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस कराने को कहा जा रहा है।
साबिर अली, खाद्य सुरक्षा अधिकारी

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