यह पहाड़ी आमों – मझगवां रोड से करीब छ: किमी अंदर है। पौधे अगस्त – सितंबर मेंं रोपे गए थे। पिछले वर्ष अगस्त – सितंबर में रोपे गए पौधों की हकीकत जानने के लिए पत्रिका रिपोर्टर ने पड़ताल की तो हैरत करने वाली बात सामने आई है।
हरी – भरी पहाड़ी पर पौधारोपण
वन विभाग ने पौधा रोपण के लिए ऐसी पहाड़ी को चयनित किया जहां पहले से ही घने जंगल हैं। दूर से तो पहाड़ी हरी भरी दिखाई देती है। लेकिन वह बड़े – बड़े पेड़ बहुत पहले की हैं। जब पहाड़ी के अंदर प्रवेश करने पर पता चलता है कि पिछले वर्ष यहां जो पौधे लगाए गए थे वे सूख गए हैं। बॉस, शीशम, नीम सहित कई किस्म के पौधे यहां लगाए गए थे। हरी – भरी पहाड़ी को चुनकर वन विभाग खेल करना चाहता है जिससे करतूत पर पर्दा डाला जा सके।
वन विभाग ने पौधा रोपण के लिए ऐसी पहाड़ी को चयनित किया जहां पहले से ही घने जंगल हैं। दूर से तो पहाड़ी हरी भरी दिखाई देती है। लेकिन वह बड़े – बड़े पेड़ बहुत पहले की हैं। जब पहाड़ी के अंदर प्रवेश करने पर पता चलता है कि पिछले वर्ष यहां जो पौधे लगाए गए थे वे सूख गए हैं। बॉस, शीशम, नीम सहित कई किस्म के पौधे यहां लगाए गए थे। हरी – भरी पहाड़ी को चुनकर वन विभाग खेल करना चाहता है जिससे करतूत पर पर्दा डाला जा सके।
वहां पहुंचने पर एक युवक से मुलाकात हुई, उसने जुलाई में पौधा रोपण के समय काम किया था, उसने बताया कि अधिकतर पौधे सूख गए हैं। बताया कि जो पौधे लगाने के लिए आए थे उनकी जड़ में मिट्टी नहीं लगी थी। बहुत छोटे थे। यही वजह रही की वे सूख गए। वह साथ में पहाड़ी पर गया और उन स्थानों को दिखाया जहां पौधे सूख गए हैं और खुदे हुए गड्ढे मिले। बताया कि जो यह जाली लगाई गई है यह पौधे लगाने के बाद लगाई गई। तब तक पशु यहां लगाए गए पौधों को नष्ट कर चुके थे।
वन विभाग ही कर रहा लापरवाही
पौधा रोपण के बाद देखभाल के लिए लगाए गए चौकीदारों की मानदेय समय पर नहीं दिया जा रहा है। पता चला की छह – सात महीने मेंं मानदेय दिया जा रहा है। इस पहाड़ी पर पौधों की देखभाल के लिए विभाग ने दो चौकीदार लगा रखे हैं। लेकिन १०० एकड़ क्षेत्र में फैले क्षेत्र में दो लोगों की देखभाल कर पाना मुश्किल है। ऐसे में पहाड़ी को जालीदार तारों से घेरा गया। लेकिन तब तक पशु पौधों को नष्ट कर चुके थे।
पौधा रोपण के बाद देखभाल के लिए लगाए गए चौकीदारों की मानदेय समय पर नहीं दिया जा रहा है। पता चला की छह – सात महीने मेंं मानदेय दिया जा रहा है। इस पहाड़ी पर पौधों की देखभाल के लिए विभाग ने दो चौकीदार लगा रखे हैं। लेकिन १०० एकड़ क्षेत्र में फैले क्षेत्र में दो लोगों की देखभाल कर पाना मुश्किल है। ऐसे में पहाड़ी को जालीदार तारों से घेरा गया। लेकिन तब तक पशु पौधों को नष्ट कर चुके थे।
विभाग से ही जुडे लोगों ने बताया कि यहां कभी वन विभाग के अधिकारी नहीं आते। जिस समय काम चल रहा था उस दौरान कुछ वन विभाग के अधिकारी आते थे लेकिन पिछले कई महीने से नहीं आए। कई गड्ढे खोदे गए हैं जहां पौधे नहीं लगाए गए हैं। लोगों का कहना है कि पौधा रोपण के नाम पर महज खानापूर्ति की गई है।
अगस्त – सितंबर में पौधे रोपे गए थे। पानी नहीं गिरने की वजह से ज्यादातर पौधे सूख गए। जाली देरी से लगाई गई जिससे कुछ पौधों को पशुओं ने नष्ट कर दिया।
पारसनाथ वैश्य आमों ग्रामीण वन समिति अध्यक्ष
पारसनाथ वैश्य आमों ग्रामीण वन समिति अध्यक्ष