scriptऊर्जाधानी में यमराज बनकर दौड़ रहे कोल वाहन, सप्ताहभर में चार की मौत | Four people killed in a week by crushing coal vehicle | Patrika News

ऊर्जाधानी में यमराज बनकर दौड़ रहे कोल वाहन, सप्ताहभर में चार की मौत

locationसिंगरौलीPublished: Apr 18, 2019 10:49:34 pm

Submitted by:

Amit Pandey

जिम्मेदार अधिकारियों की अब भी नहीं टूट रही नींद….

Four people killed in a week by crushing coal vehicle

Four people killed in a week by crushing coal vehicle

सिंगरौली. सडक़ पर यमराज बनकर दौड़ रहे कोल वाहनों ने सप्ताहभर में चार लोगों को कुचलकर मौत के घाट उतार दिया है। लगातार घटनाओं को अंजाम दे रहे कोल वाहनों के खिलाफ जिम्मेदार अधिकारियों की नींद अब भी नहीं टूट रही है। यही वजह है कि कोल परिवहन कर रहे वाहन सडक़ोंं पर मौत बनकर दौड़ रहे हैं। जिले में कोल वाहनों ने कोहराम मचा रखा है। शहर से लेकर गांव से होकर गुजरने वाली सडक़ों पर दुर्घटनाएं और बढ़ गई हैं। कोल वाहनों पर कार्रवाई तो रात गई और बात गई की कहावत को चरितार्थ कर रही है।
शासन-प्रशासन आमजन के लिए नासूर बन रहे कोल वाहनों से अनजान बनकर बैठा है। कोयले के तिजारत की डोर थामे ट्रांसपोर्टर व कंपनियां जिम्मेदार महकमा को पंगु बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। ऐसा माना गया था कि सडक़ हादसों के ग्राफ में कमी आएगी। सच तो यह है कि जिले की सडक़ों पर फर्राटा भरते वाहनों के साथ मौत भी तेजी से दौडऩे लगी है। शहर में मौत बन कर दौड़ रहे वाहनों पर गति सीमा का कोई नियंत्रण नहीं है। बीते बुधवार की शाम हुई यह कोई पहली घटना नहीं है। घनी आबादी वाले शहरी इलाकों में ओवरलोड कोल वाहन से आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। वजह भी साफ है कि पुलिस व प्रशासन का कोई नियंत्रण नहीं है।
हाल में हुई ये घटनाएं:
केस-एक
मोरवा थाना क्षेत्र के भूसा मोड़ के समीप पिछले एक सप्ताह पहले ट्रेलर वाहन क्रमांक यूपी 65 जीटी 9288 का चालक ने साइकिल सवार जोगेन्द्र सिंह को जोरदार टक्कर मारकर घसीटते हुए कुछ दूरी तक ले गया। जिससे जोगेन्द्र सिंह की मौके पर मौत हो गई थी। घटना के बाद ग्रामीणों का गुस्सा फूट गया था।
केस-दो
सरई थाना क्षेत्र के जमगड़ी में एस्सार पॉवर में कोयला लेकर जा रहा वाहन क्रमांक यूपी 64 एटी 3128 का चालक ने जोरदार टक्कर मार दिया। जिससे मौके पर जगधारी पनिका पिता मिश्रीलाल पनिका की मौत हो गई। जबकि पतिराज अगरिया पिता सोखलाल गंभीर रूप से घायल हो गया था। जिसकी उपचार के दौरान मौत हो गई। घटना के बाद पुलिस व प्रशासन को काफी मशक्कत करनी पड़ी है।
प्रदूषण की मार से घुट-घुट कर जीने को विवश
मोरवा से गोरबी, बरगवां, जयंत, परसौना के बीच सडक़ पर लंबे से जमे कोयले की धूल नहीं हट सकी है। जहां से यह टे्रलर वाहन गुजरते हैं। वहां के रहवासी प्रदूषण की मार से घुट-घुट कर जीने को विवश हैं। उल्लेखनीय यह भी है कि सडक़ मार्ग से हो रहे कोयला परिवहन के कारण रेलवे को भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। कोयले की उड़ती धूल से पैदल व वाहन चालकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दिन-रात परिवहन में लगे अधिकांश ट्रेलर व हाइवा जर्जर हो गए हैं। जहां से ट्रक कोयला लेकर गुजरती है वहां के इलाकों में स्वास्थ्य को लेकर आपात स्थिति बन जाती है।
सडक़ मार्ग से कोल परिवहन हर हाल में प्रतिबंधित
एनजीटी के सदस्य, जिला प्रशासन और कोल व विद्युत उत्पादक कंपनियों की एक मार्च को हुई संयुक्त बैठक में सडक़ मार्ग से कोल परिवहन पूरी तरह से प्रतिबंधित है। बैठक में स्पष्ट कर दिया गया है कि किसी भी स्थिति में सडक़ मार्ग से कोल परिवहन नहीं किया जा सकता है। बैठक में उपस्थित कंपनी प्रतिनिधियों की अपील पर एनजीटी की ओर से उन्हें विकल्प तैयार करने के लिए दो महीने का वक्त दिया गया है, लेकिन अभी तक कंपनियों ने न ही विकल्प तैयार किया है और न ही जिला प्रशासन सडक़ मार्ग से कोल परिवहन प्रतिबंधित करा सका है। नतीजा आए दिन बिना कसूर लोग काल के गाल में समा रहे हैं।
फैक्ट फाइल:
– 800 बड़े वाहन परिवहन में लगे
– 50 हजार टन कोयले का एक दिन में परिवहन
– 11 से अधिक ट्रांसपोर्टरों के जरिए हो रहा परिवहन
– 04 कंपनियों के लिए हो रहा परिवहन
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो