सिंगरौली

सिंचाई की बड़ी परियोजना में काम से पहले औपचारिकता

सीधी जिला प्रशासन हरी झंडी देने में कर रहा देर….

सिंगरौलीSep 23, 2019 / 12:39 pm

Ajeet shukla

Gond project of irrigation in Singrauli-Sidhi delayed, farmers upset

सिंगरौली. इस क्षेत्र की सबसे बड़ी सिंचाई गोंड परियोजना को साकार करने के लिए भाग दौड़ जारी है। इसके तहत जल संसाधन विभाग को गोपद नदी क्षेत्र मेें सर्वे व निर्माण कार्य शुरु करने से पहले पड़ोसी जिले सीधी के प्रशासन की शरण में जाना पड़ा है। हाल में जल संसाधन विभाग की ओर से वहां जिला प्रशासन से सिहावल तहसील में गोपद के किनारे सर्वे व निर्माण कार्य शुरू करने के लिए मंजूरी का आवेदन किया गया है।
गोंड परियोजना का लाभ सिंगरौली व सीधी जिलों की दो तहसीलों को मिलना है। सिंगरौली जिले की देवसर तहसील व सीधी जिले की सिहावल तहसील की 33 हजार हेक्टेयर भूमि में इस परियोजना से सिंचाई किया जाना प्रस्तावित है। इस परियोजना के तहत गोपद नदी के दोनों किनारों पर सर्वे आदि किया जाना है और इसके बाद नदी में पक्का बांध बनाया जाएगा। गोपद नदी का एक किनारा इस जिले की देवसर तहसील व दूसरा किनारा सीधी जिले की सिहावल तहसील में स्थित है। इसके लिए पूर्व सर्वे व बांध निर्माण की शुरुआत से पहले दोनों जिला प्रशासन से मंजूरी अनिवार्य है।
इसके तहत नियमानुसार स्थानीय जल संसाधन विभाग की ओर से सिहावल तहसील क्षेत्र में गोपद के किनारे सर्वे सहित दूसरा पक्का निर्माण शुरु करने की मंजूरी के लिए इसी माह प्रथम सप्ताह में सीधी के जिला कलेक्टर के समक्ष लिखित आवेदन किया गया है। बताया गया कि अब वहां के प्रशासन की ओर से आवेदन का परीक्षण कराया जाएगा। इसके बाद पहले सर्वे कार्य की अनुमति दी जाएगी। स्थानीय जल संसाधन विभाग के अधिकारी सूत्रों ने बताया कि इसके अगले चरण में वहां नदी किनारे पक्का निर्माण कार्य करने की मंजूरी अलग से जारी होगी।
जल संसाधन विभाग को इस काम के लिए सिंगरौली जिला प्रशासन से पहले ही सहमति मिल चुकी है। अधिकारी सूत्रों ने बताया कि सीधी जिला प्रशासन की मंजूरी मिलने के बाद गोपद नदी के आसपास क्षेत्र में मशीनों व उपकरणों के साथ प्रवेश, निर्माण कार्य से पहले जरूरी सर्वे व भूमि की क्षमता मापने के लिए ब्लास्टिंग जैसे कामों को हरी झंडी मिल सकेगी। बताया गया कि गोंड परियोजना का आरंभिक निर्माण कार्य शुरू करने के लिए संबंधित संविदाकार तथा जल संसाधन विभाग के स्तर पर तैयारी लगभग पूरी कर हो गई। उल्लेखनीय है कि टेंडर शर्त के अनुसार इस परियोजना का सारा निर्माण चार वर्ष में पूरा किया जाना है। परियोजना की टेंडर प्रक्रिया इसी वर्ष मार्च माह मेंं हुई।
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