जबकि हकीकत यह है कि पिछले दिनों कोतवाली में आयोजित जन सुनवाई में जुटी भीड़ का आधा हिस्सा भी एसपी कार्यालय में नहीं जुटाया जा सका।इससे पुलिस की किरकिरी हो रही थी। बुधवार को साढ़े ११ बजे से शिविर का आयोजन होना था। फरियादियों के नहीं पहुंचने का नतीजा यह रहा कि शिविर दोपहर ढाई बजे के बाद शुरू हुआ और चंद शिकायतों निराकरण करके समापन भी कर दिया गया।
पीडि़तों को नहीं मिली सूचना
शिकायतों का निराकरण कराने के लिए पहुंची महज १६० की संख्या सूचना के अभाव का नतीजा माना जा रहा है। फरियादियों तक शिविर के आयोजन की सूचना ही नहीं पहुंची। यही वजह रहा कि केवल कुछ लोग ही शिविर में पहुंच सके। जबकि शिविर में अलग-अलग थाना के स्टॉल लगाए गए थे। लेकिन पुलिस के लिए हैरान करने वाली बात यह हो गई कि शिविर में शिकायतकर्ता नहीं पहुंचे। गौरतलब है कि कोतवाली में लगे शिविर में फरियादियों की संख्या २०० से अधिक रही है।
शिकायतों का निराकरण कराने के लिए पहुंची महज १६० की संख्या सूचना के अभाव का नतीजा माना जा रहा है। फरियादियों तक शिविर के आयोजन की सूचना ही नहीं पहुंची। यही वजह रहा कि केवल कुछ लोग ही शिविर में पहुंच सके। जबकि शिविर में अलग-अलग थाना के स्टॉल लगाए गए थे। लेकिन पुलिस के लिए हैरान करने वाली बात यह हो गई कि शिविर में शिकायतकर्ता नहीं पहुंचे। गौरतलब है कि कोतवाली में लगे शिविर में फरियादियों की संख्या २०० से अधिक रही है।
खाली पड़ी रह गई कुर्सियां
पुलिस अधिकारियों को बड़ी संख्या में फरियादियों के पहुंचने की उम्मीद थी। यही वजह रही कि शिविर में ५०० से अधिक कुर्सियां लगाई गई थी, लेकिन फरियादियों के नहीं पहुंचने के चलते ज्यादातर कुर्सियां पूरे समय खाली ही रहीं। अधिक से अधिक फरियादी शिविर में पहुंचे, इसके लिए संबंधित थाना प्रभारियों को सूचित कर उन्हें फरियादियों तक सूचना देने का कई बार निर्देश जारी किया गया, लेकिन नतीजा सिफर रहा। किसी ने भी निर्देश को गंभीरता से नहीं लिया।
पुलिस अधिकारियों को बड़ी संख्या में फरियादियों के पहुंचने की उम्मीद थी। यही वजह रही कि शिविर में ५०० से अधिक कुर्सियां लगाई गई थी, लेकिन फरियादियों के नहीं पहुंचने के चलते ज्यादातर कुर्सियां पूरे समय खाली ही रहीं। अधिक से अधिक फरियादी शिविर में पहुंचे, इसके लिए संबंधित थाना प्रभारियों को सूचित कर उन्हें फरियादियों तक सूचना देने का कई बार निर्देश जारी किया गया, लेकिन नतीजा सिफर रहा। किसी ने भी निर्देश को गंभीरता से नहीं लिया।