पुराना ढर्रा
जिला अस्पताल प्रबंधन पुराने ढर्रे पर ही मरीजों का उपचार करने की तैयारी में है। वार्ड में गर्मी के मद्देनजर कोई व्यवस्था नहीं कराई गई है। बर्न यूनिट में बाथ टब व अन्य सुविधाएं भी नदारद हैं। ऐसे में आग से जलने के बाद जिला अस्पताल में भर्ती होकर इलाज कराना मरीजों के लिए किसी सजा से कम नहीं होगा। इस ओर अस्पताल प्रशासन का कोई ध्यान नहीं जा रहा है। हम बात करें पिछले साल की तो यहां भर्ती होने वाले मरीजों के परिजन अपने घर से कूलर, पंखा लेकर आए थे। यही स्थिति गर्मी में इस बार भी बनेगी।
बर्न वार्ड में नहीं लगाई गई एसी
अस्पताल के बर्न वार्ड में एसी यानी वातानुकूलित लगाने का निर्देश है। वार्ड एसी हर हाल में अनिवार्य किया गया है। क्योंकि आग से झुलसकर आने वाले मरीजों का ठंडक में रहना अनिवार्य है। कूलर की हवा घाव के आसपास की खाल को न केवल सिकोड़ देती है, बल्कि संक्रमण का कारण भी बनती है। इसलिए यहां कूलर चलाने पर प्रतिबंध रहता है।
वार्ड में भर्ती हैं सामान्य मरीज
बर्न यूनिट वातानुकूलित होती है। यहां जूता-चप्पल पहनकर जाने पर भी प्रतिबंध रहता है, ताकि जले मरीजों में संक्रमण नहीं हो। लेकिन यहां स्थिति विपरीत है। यूनिट में न केवल सामान्य मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। बल्कि लोगों का प्रतिबंध के बावजूद जूता-चप्पल पहनकर आने-जाने का सिलसिला जारी है।
जिला अस्पताल प्रबंधन पुराने ढर्रे पर ही मरीजों का उपचार करने की तैयारी में है। वार्ड में गर्मी के मद्देनजर कोई व्यवस्था नहीं कराई गई है। बर्न यूनिट में बाथ टब व अन्य सुविधाएं भी नदारद हैं। ऐसे में आग से जलने के बाद जिला अस्पताल में भर्ती होकर इलाज कराना मरीजों के लिए किसी सजा से कम नहीं होगा। इस ओर अस्पताल प्रशासन का कोई ध्यान नहीं जा रहा है। हम बात करें पिछले साल की तो यहां भर्ती होने वाले मरीजों के परिजन अपने घर से कूलर, पंखा लेकर आए थे। यही स्थिति गर्मी में इस बार भी बनेगी।
बर्न वार्ड में नहीं लगाई गई एसी
अस्पताल के बर्न वार्ड में एसी यानी वातानुकूलित लगाने का निर्देश है। वार्ड एसी हर हाल में अनिवार्य किया गया है। क्योंकि आग से झुलसकर आने वाले मरीजों का ठंडक में रहना अनिवार्य है। कूलर की हवा घाव के आसपास की खाल को न केवल सिकोड़ देती है, बल्कि संक्रमण का कारण भी बनती है। इसलिए यहां कूलर चलाने पर प्रतिबंध रहता है।
वार्ड में भर्ती हैं सामान्य मरीज
बर्न यूनिट वातानुकूलित होती है। यहां जूता-चप्पल पहनकर जाने पर भी प्रतिबंध रहता है, ताकि जले मरीजों में संक्रमण नहीं हो। लेकिन यहां स्थिति विपरीत है। यूनिट में न केवल सामान्य मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। बल्कि लोगों का प्रतिबंध के बावजूद जूता-चप्पल पहनकर आने-जाने का सिलसिला जारी है।