फिलहाल खटखरिया गांव के तीन महीने के अति कुपोषित बच्चे की माता लीलावती बैगा और पिता इंदर कुमार बैगा उसका इलाज कराना चाहते हैं, लेकिन उनकी जेब खाली है।इधर अधिकारी भी बच्चे पर गौर नहीं फरमा रहे हैं। सारी कवायद सिर्फ निर्देश देने तक में सीमित होकर रह गया है। बच्चे की यह स्थिति दर्शाती है कि उसकी शारीरिक ग्रोथ थमी हुई है। उसके साथ सबसे बड़ी परेशानी यह है कि वह रो नहीं पा रहा है। वह मुंह खोलने का प्रयास करता है पर रोने की आवाज नहीं निकलती है। माता लीलावती बैगा ने बताया कि जन्म से ही बच्चा इसी स्थिति में है। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के चलते बेहतर इलाज नहीं मिल रहा है।
बच्चे को एनआरसी में भर्ती कराने की जरूरत
कुछ दिन पहले विभाग के कुछ अधिकारियों ने बच्चों को देखा था। उनकी ओर से उसे एनआरसी में भर्ती कराने की बात की गई थी, लेकिन नतीजा सिफर रहा। अधिकारियों ने उसके बाद यह जानने की जरूरत नहीं समझी कि उसका इलाज शुरू हुआ है या नहीं।
कुछ दिन पहले विभाग के कुछ अधिकारियों ने बच्चों को देखा था। उनकी ओर से उसे एनआरसी में भर्ती कराने की बात की गई थी, लेकिन नतीजा सिफर रहा। अधिकारियों ने उसके बाद यह जानने की जरूरत नहीं समझी कि उसका इलाज शुरू हुआ है या नहीं।
चितरंगी, देवसर की स्थिति बेहद खराब
कुपोषण की हैरान करने वाली इस तरह की तस्वीर पिछले साल चितरंगी व देवसर विकासखंड से सामने आई थी। इलाज के अभाव में बच्चों की मौत हो गई थी। महज सालभर के अंतराल में कुपोषण के कई भयावह केस सामने हैं। जानकारी के मुताबिक करीब १५ सौ बच्चे गंभीर कुपोषण की चपेट में है। समय रहते रोकथाम के लिए ठोस उपाय नहीं हुए तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है।
कुपोषण की हैरान करने वाली इस तरह की तस्वीर पिछले साल चितरंगी व देवसर विकासखंड से सामने आई थी। इलाज के अभाव में बच्चों की मौत हो गई थी। महज सालभर के अंतराल में कुपोषण के कई भयावह केस सामने हैं। जानकारी के मुताबिक करीब १५ सौ बच्चे गंभीर कुपोषण की चपेट में है। समय रहते रोकथाम के लिए ठोस उपाय नहीं हुए तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है।
कुपोषण को लेकर अधिकारी गंभीर नहीं
गंभीर कुपोषण के मामले में सिंगरौली की स्थिति प्रदेश में सबसे खराब है। लगातार गंभीर कुपोषण बच्चों में देखने को मिल रहा है लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों का हाल ये है कि वह इन बच्चों तक नहीं पहुंच रहे हैं। जबकि जिले के आदिवासी अंचल में ऐसे कई बच्चे देखने को मिल जाएंगे। यह स्पष्ट है कि कुपोषण की स्थिति भले गंभीर है लेकिन अधिकारी गंभीर नहीं हैं। सब कुछ खानापूर्ति तक सिमट गया है।
गंभीर कुपोषण के मामले में सिंगरौली की स्थिति प्रदेश में सबसे खराब है। लगातार गंभीर कुपोषण बच्चों में देखने को मिल रहा है लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों का हाल ये है कि वह इन बच्चों तक नहीं पहुंच रहे हैं। जबकि जिले के आदिवासी अंचल में ऐसे कई बच्चे देखने को मिल जाएंगे। यह स्पष्ट है कि कुपोषण की स्थिति भले गंभीर है लेकिन अधिकारी गंभीर नहीं हैं। सब कुछ खानापूर्ति तक सिमट गया है।