पत्रिका टीम शहर में सजाए गए कई पंडालों में पहुंची। वहां मौजूद लोगों से जानकारी ली गई कि क्या कोई अग्निशमन विभाग के अधिकारी निरीक्षण के लिए आए थे। वहां मौजूद लोगों ने बताया कि अब तक तो कोई नहीं आया। पूजा पण्डालों में कागज,पन्नी, रेशमी कपड़े, दीपक आदि कई ऐसे सामान होते हैं जो आग भड़का सकते हैं। इसलिए इनसे बचने के लिए उपाय जरूरी है।
पंडाल बिजली के तारों के नीचे, पॉवर हाउस, रेलवे लाइन, चिमनी और भ_ी के पास न बनाएं। लाइसेंस ठेेकेदारों से बिजली व्यवस्था पंडालों में कराई जानी चाहिए। हाइलोजन लाइट प्रयोग से बचें। आग पर काबू पाने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी रखें, आधा पानी पंडाल में और आधा बाहर रखा जाए।
इधर शारदेय नवरात्र के चौथे दिन मंदिरों में भारी भीड़ रही। शुक्रवार सुबह से मंदिरों में मां के दर्शन करने लोग पहुंच रहे थे। इससे शहर सहित आसपास के देवी मंदिरों में माता के दर्शन करने श्रद्घालुओं का तांता लगा रहा। नौ दिनों तक मंदिर में विशेष पूजा की जा रही है। चौथे दिन माता के नौ रूपों में चौथे स्वरूप मा कूष्मांडा की पूजा की गई। डा एनपी मिश्र ने बताया कि माता के स्वरूप के बारे में कहा जाता है कि आठ भुजाएं होती हैं। मां ने आठ भुजाओं में अलग-अलग वस्तु धारण किया है। शक्तिनगर के ज्वालामुखी मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लगना शुरू हो जाता है। मंदिरों में रोजाना शाम को कार्यक्रम होता है।