मिलीभगत के चलते रेत कारोबारियों के हौसले इस कदर बुलंद हैं कि सोन नदी तक वाहन ले जाने के लिए दो-दो किलोमीटर तक मुरम डालकर रास्ते बना लिए गए हैं। शाम ढलने के बाद ही नदी में वाहन में मशीने उतर जाती हैं। रेत की निकासी कर परिवहन के साथ भंडारण भी किया जा रहा है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।
यहां सबसे बड़ी समस्या ग्रामीणों को हो गई है। वाहनों के आवागमन से जहां शाम होते ही गांवों को सडक़ पर निकलना मुश्किल हो जाता है। वहीं पिपरझर और देवरा में गाडिय़ों की रात भर आवाजाही से शोर के चलते लोगों की नींद ***** हो गई है। धूल से हो रहे प्रदूषण के चलते भी लोगों को बुरा हाल है। खुलेआम हो रहे परिवहन पर पुलिस व खनिज अधिकारी आंख मूंदे हुए हैं।