आलम यह है कि नए भवन में शिफ्ट करने के बावत ट्रामा सेंटर को तैयार होने में अभी एक महीने का वक्त लगेगा। निर्माण कार्य में लगी एजेंसी का कुछ ऐसा ही मानना है। इधर सीएमएचओ ने भी साफ तौर पर कह दिया कि निर्माण कार्य करा रही एजेंसी जब तक भवन को हैंडओवर करने की प्रक्रिया पूरी नहीं लेती है। अस्पताल को शिफ्ट करना मुमकिन नहीं होगा। तय है ऐसे में मरीजों को अभी और मुसीबत झेलना पड़ेगा।
जिला अस्पताल की शिफ्टिंग और नए ट्रामा सेंटर को तैयार करने के मामले में सीएमएचओ व पीडब्ल्यूडी के अधिकारी जहां अपनी सफाई देकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर मरीजों को हर रोज परेशानी झेलना पड़ रहा है। कलेक्टर के अलावा अभी हाल ही में जिले के दौरे पर आए स्वास्थ्य आयुक्त ने भी जल्द व्यवस्था सुधारने का निर्देश दिया। लेकिन नतीजा सिफर रहा है।
जाने के लिए सडक़ भी नहीं
ट्रामा सेंटर तक जाने के लिए सडक़ भी नहीं है। निर्माण करा रही एजेंसी यदि एक-दो कमरे में व्यवस्थाएं पूरी कर हैंडओवर कर देती है तो नए भवन तक पहुंचने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ेगी। वहां तक जननी व एंबुलेंस वाहन नहीं पहुंच सकते हैं। बायपास में मरीजों उतारकर कंधे के सहारे अस्पताल तक पहुंचाना पड़ेगा। इसलिए सडक़ निर्माण भी कराने की कवायद शुरू होनी चाहिए।
जाने के लिए सडक़ भी नहीं
ट्रामा सेंटर तक जाने के लिए सडक़ भी नहीं है। निर्माण करा रही एजेंसी यदि एक-दो कमरे में व्यवस्थाएं पूरी कर हैंडओवर कर देती है तो नए भवन तक पहुंचने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ेगी। वहां तक जननी व एंबुलेंस वाहन नहीं पहुंच सकते हैं। बायपास में मरीजों उतारकर कंधे के सहारे अस्पताल तक पहुंचाना पड़ेगा। इसलिए सडक़ निर्माण भी कराने की कवायद शुरू होनी चाहिए।