शुक्रवार को मुखबिरों की सूचना पर पहुंची कोतवाली पुलिस ने राजकुमार भूर्तिया को छत्तीसगढ़ रघुनाथनगर से गिरफ्तार कर लिया है। कोतवाल मनीष त्रिपाठी ने बताया कि 2007 चर्चित ननियागढ़ डकैती कांड में शामिल नौ आरोपियों में पुलिस सात आरोपियों को घटना के बाद गिरफ्तार कर लिया था। जबकि दो आरोपी डकैती की वारदात को अजाम देने के बाद फरार हो गए थे। जिसमें से राजकुमार भूर्तिया को पकड़ा गया और एक अन्य आरोपी की तलाश जारी है। उसे भी जल्द गिरफ्तार किया जाएगा। पतासाजी में पुलिस जुट गई है। आरोपी को पकडऩे एसपी ने सात हजार रुपए का इनाम घोषित किया था।
ऐसे हुआ था पूरा घटनाक्रम
फरियादी कुंज बिहारी भूर्तिया ने 19 मई 2007 को कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराया था कि हथियार से लैस अज्ञात बदमाशों ने घर में घुसकर मारपीट करते हुए 52 हजार रुपए नकद व 65 हजार रुपए के जेवरात लेकर फरार हो गए हैं। शिकायत के बाद कोतवाली पुलिस अज्ञात बदमाशों के खिलाफ आईपीसी की धारा 395, 397 के तहत मामला दर्ज कर आरोपियों की पतासाजी में जुट गई थी। डकैती की वारदात के बाद पुलिस ने सात आरोपियों को पकड़ा था लेकिन दो आरोपी पुलिस की नजरों से ओझल हो गए थे।
फरियादी कुंज बिहारी भूर्तिया ने 19 मई 2007 को कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराया था कि हथियार से लैस अज्ञात बदमाशों ने घर में घुसकर मारपीट करते हुए 52 हजार रुपए नकद व 65 हजार रुपए के जेवरात लेकर फरार हो गए हैं। शिकायत के बाद कोतवाली पुलिस अज्ञात बदमाशों के खिलाफ आईपीसी की धारा 395, 397 के तहत मामला दर्ज कर आरोपियों की पतासाजी में जुट गई थी। डकैती की वारदात के बाद पुलिस ने सात आरोपियों को पकड़ा था लेकिन दो आरोपी पुलिस की नजरों से ओझल हो गए थे।
पिछले थानेदारों ने नहीं दिखाया दमखम
डकैतों ने वारदात को वर्ष 2007 में अंजाम दिया था। इसके बाद कोतवाली में करीब आधा दर्जन काबिल थानेदारों की पदस्थापना हुई लेकिन वह डकैतों का सुराग नहीं लगा सके। यही वजह है कि ऐसे अपराधी वारदात की पुनारावृत्ति कर देते हैं। इस मामले को कोतवाल मनीष त्रिपाठी ने गंभीरता से लिया और आरोपी को पकडऩे के लिए लगातार पुलिस टीम दबिश देती रही। अपराधी कोतवाल त्रिपाठी की नजरों से ओझल नहीं हो सका। कोतवाली पुलिस टीम ने फिल्मी स्टाइल में घेराबंदी कर आरोपी को पकड़ा है।
डकैतों ने वारदात को वर्ष 2007 में अंजाम दिया था। इसके बाद कोतवाली में करीब आधा दर्जन काबिल थानेदारों की पदस्थापना हुई लेकिन वह डकैतों का सुराग नहीं लगा सके। यही वजह है कि ऐसे अपराधी वारदात की पुनारावृत्ति कर देते हैं। इस मामले को कोतवाल मनीष त्रिपाठी ने गंभीरता से लिया और आरोपी को पकडऩे के लिए लगातार पुलिस टीम दबिश देती रही। अपराधी कोतवाल त्रिपाठी की नजरों से ओझल नहीं हो सका। कोतवाली पुलिस टीम ने फिल्मी स्टाइल में घेराबंदी कर आरोपी को पकड़ा है।
पुलिस लगातार दे रही थी दबिश
कोतवाल मनीष त्रिपाठी ने बताया कि फरार आरोपियों की तलाश बारीकी से की जा रही है। सिंगरौली-छत्तीसगढ़ का बार्डर होने की वजह से आरोपी को चकमा देता रहा। बार्डर इलाके पर आरोपियों को पकडऩे पुलिस को जद्दोजहद करनी पड़ती है। फिलहाल जब भी मुखबिरों से सूचना मिली है तत्काल पुलिस टीम रवाना किया गया लेकिन आरोपी को पुलिस की भनक लग जाती थी। जिससे वह आसपास के जंगलों में भाग जाता था। अंतत: पुलिस की बिछाए हुए जाल से आरोपी नहीं बच सका।
कोतवाल मनीष त्रिपाठी ने बताया कि फरार आरोपियों की तलाश बारीकी से की जा रही है। सिंगरौली-छत्तीसगढ़ का बार्डर होने की वजह से आरोपी को चकमा देता रहा। बार्डर इलाके पर आरोपियों को पकडऩे पुलिस को जद्दोजहद करनी पड़ती है। फिलहाल जब भी मुखबिरों से सूचना मिली है तत्काल पुलिस टीम रवाना किया गया लेकिन आरोपी को पुलिस की भनक लग जाती थी। जिससे वह आसपास के जंगलों में भाग जाता था। अंतत: पुलिस की बिछाए हुए जाल से आरोपी नहीं बच सका।
कार्रवाई में ये रहे शामिल
आरोपियों के फरारी के दौरान चलानी कार्रवाई कर प्रकरण न्यायालय पेश किया गया था। आरोपियों का न्यायालय से स्थाई वारंट भी जारी किया गया था। जिसे कोतवाली पुलिस ने पकड़ा है। एसपी दीपक कुमार शुक्ला व एएसपी प्रदीप शेंडे के निर्देश व कोतवाल के नेतृत्व में गठित टीम में प्रधान आरक्षक संतोष सिंह, डीएन सिंह, अरविंद चतुर्वेदी, पिंटू राय, आरक्षक संजय परिहार, महेश पटेल, प्रवीण सिंह, मुनेंद्र मिश्रा शामिल रहे।
आरोपियों के फरारी के दौरान चलानी कार्रवाई कर प्रकरण न्यायालय पेश किया गया था। आरोपियों का न्यायालय से स्थाई वारंट भी जारी किया गया था। जिसे कोतवाली पुलिस ने पकड़ा है। एसपी दीपक कुमार शुक्ला व एएसपी प्रदीप शेंडे के निर्देश व कोतवाल के नेतृत्व में गठित टीम में प्रधान आरक्षक संतोष सिंह, डीएन सिंह, अरविंद चतुर्वेदी, पिंटू राय, आरक्षक संजय परिहार, महेश पटेल, प्रवीण सिंह, मुनेंद्र मिश्रा शामिल रहे।