ताली निवासी एक व्यक्ति बीते दिनों एनसीएल के कल्याण मंडपम में बने कोविड सेंटर में भर्ती किया गया। उस मरीज के परिजनों के मुताबिक शनिवार की रात को उन्हें दवाई और खाना दिया गया। सुबह नाश्ते में फूले हुए चने, दूध और अंडे दिये गए। उन्होंने कहाकि मैं तो शुद्ध शाकाहारी हूं, इस पर नाश्ता लाने वाले का जवाब था कि खाना हो तो खाओ, कुछ और नहीं मिलने वाला। इतना ही नहीं उसने बताया कि लगभग एक कप दूध मिला, उसे देख कर ऐसा लग रहा था मानों पांच लीटर पानी में एक लीटर दूध मिलाकर सर्व किया जा रहा हो। रहा सवाल फूले हुए चने का तो उससे इतनी बदबू आ रही थी कि उन्हें फेंकना पड़ा। दिन के खाने में पानी से भी पतली दाल और उसमें बेहिसाब नमक। रोटी और चावल भी ऐसा कि हलक से नीचे न उतरे।
पीडि़त के परिजनों का कहना है कि उन्हें कल से न तो गरम पानी दिया गया, न काढ़ा। कमरे में हीटर या केतली भी नहीं है कि खुद पानी गरम कर लें। रविवार को सुबह से न तो कोई देखने आया और ना ही दवा दी गईं।
इन दुर्व्यवस्थाओं के बाबत कोविड सेंटर्स के अन्य मरीजों से बात की तो उनका जवाब था कि अभी पहला दिन है, दो चार दिन में आप अभ्यस्त हो जाओगे। मरीज का कहना है कि आइसोलेशन सेंटर्स की दुर्व्यवस्थाएं हमें कोरोना से जंग में कमजोर बना रही हैं।
बताया जा रहा है कि जिस हॉल में इस मरीज को रखा गया है वहां 45 बेड हैं और सबके पास ही डस्टबिन हैं। लेकिन डस्टबिन्स की नियमित सफाई न होने से वे बदबू कर रहे हैं। साफ-सफाई भी सरकारी व्यवस्था को मात देती नजर आ रही है। उनका कहना है कि अब तो उम्मीद सिर्फ कलेक्टर से है कि वही स्वत: संज्ञान लेकर पीडि़तों के लिए बेहतर व्यवस्था कराएंगे।