समाजसेवी आशीष शुक्ला ने कहा कि मतदाताओं के लिए प्रत्याशियों को समझ पाना मुश्किल है। प्रत्याशी जीत के बाद सांसद बनने पर वादों को पूरा करेगा, यह जरूरी नहीं है। इसके बावजूद हमें खुद से आंकलन करना होगा कि कौन बेहतर है। यहां बेहतर शिक्षा व्यवस्था की जरूरत है।
सामाजिक कार्यकर्ता फरदीन खान बोले कि मतदाताओं को सबसे पहले प्रत्याशियों को यह एहसास कराना होगा कि वह मूर्ख नहीं हैं। हर बार प्रत्याशी आते हैं। वादा करते हैं और जीतने के बाद सारे वादे भूल जाते हैं। प्रत्याशी वोट मांगने आए तो उसे एहसास जरूर कराएं कि वह सब समझते हैं।
युवा मतदाता राजेश कुमार का कहना है कि चुनाव में जो भी प्रत्याशी विजयी होगा। वह संसद में पहुंचेगा। उससे उम्मीद की जाएगी कि वह यहां पर प्रदूषण की समस्या से निजात दिलाए। यहां बेरोजगारी व विस्थापन की समस्या भी बड़ी है। इस पर गौर करने वाले सांसद की जरूरत है।
युवा मतदाता विद्याभूषण का कहना है कि यहां उसी प्रत्याशी को वोट किया जाना चाहिए, जो रोजगार की व्यवस्था करे। इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज खोले। इसके साथ ही शासन की योजनाओं को पात्र लोगों तक पहुंचाए। इतना करने की इच्छा रखने वाला ही अच्छा प्रत्याशी होगा।
महेश वर्मा ने कहा कि स्थानीय समस्याओं और जरूरतों पर ध्यान दिया जाए। चुनावी सभाओं में हवाहवाई बात की जाती है। बेहतर होगा कि सबसे पहले यहां के विस्थापितों को उनका अधिकार मिले और युवाओं के लिए शिक्षा और रोजगार की व्यवस्था की जाए।
पुष्पेंद्र वैश्य बोले कि कंपनियां बाहरी लोगों को रोजगार देती हैं और स्थानीय युवाओं को तिरस्कार। पहले की सरकार दिलाशा देते-देते चली गई। नई सरकार भी दिलाशा दे रही है। केवल कहने से काम नहीं चलेगा। इसको लेकर कड़ाई से पालन कराए जाने की जरूरत है।
रामदयाल का कहना है कि जैसा की अभी सबने कहा है। विस्थापितों को अधिकार व युवाओं को रोजगार मिले। शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर हो। साथ ही सालों से ठप पड़ा हाइवे का कार्य पूरा किया जाए। स्थानीय समस्याओं पर गौरफरमाने वाला ही सांसद बनना चाहिए।
राम मनोहर वैश्य बोले कि विकास की बात तो ठीक है, लेकिन जिले में कई गांव अभी भी ऐसे हैं, जहां बिजली व पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं है। पहले तो उन गांवों की मूलभूत आवश्यकता को पूरा किया जाना चाहिए। उसके बाद विकास की बात होनी चाहिए।