संयुक्त संचालक ने कराई थी विभागीय जांच
लोक शिक्षण संचालनालय ने संयुक्त संचालक से विभागीय जांच कराई थी। इसमें सामने आया कि 2013 में उन्होंने प्रशासकीय स्वीकृत के बिना स्कूलों की मरम्मत के नाम पर 10 लाख 98 हजार रुपए पंचायतों के खातों के जमा कराए थे, बाद में बिना काम कराए राशि का बंदरबांट कर लिया है। पोर्टल पर फीडिंग व निर्माण की एमबी आज तक पूर्ण नहीं की गई है।
लोक शिक्षण संचालनालय ने संयुक्त संचालक से विभागीय जांच कराई थी। इसमें सामने आया कि 2013 में उन्होंने प्रशासकीय स्वीकृत के बिना स्कूलों की मरम्मत के नाम पर 10 लाख 98 हजार रुपए पंचायतों के खातों के जमा कराए थे, बाद में बिना काम कराए राशि का बंदरबांट कर लिया है। पोर्टल पर फीडिंग व निर्माण की एमबी आज तक पूर्ण नहीं की गई है।
राज्य शिक्षा केंद्र ने दी थी स्वीकृति
तत्कालीन कलेक्टर शशांक मिश्रा ने डीपीसी द्विवेदी से 12 लाख 15 हजार रुपए वसूलने संबंधी पत्र सीधी कलेक्टर को लिखा था। राज्य शिक्षा केंद्र ने भी इसके लिए स्वीकृति दी थी। इसी तरह कस्तूरबा बालिका छात्रावासों में बायोमैट्रिक मशीनों व अन्य खरीदी व जिला शिक्षा केंद्र में अन्य कई भ्रष्टाचार के आरोप हैं। लेकिन मामले की जांच ही नहीं कराई गई। शिकायतों के आधार पर राज्य शिक्षा केंद्र ने कलेक्टर सीधी को कई पत्र लिखे गए, इसमें आज तक कोई कार्रवाई नही हुई।
तत्कालीन कलेक्टर शशांक मिश्रा ने डीपीसी द्विवेदी से 12 लाख 15 हजार रुपए वसूलने संबंधी पत्र सीधी कलेक्टर को लिखा था। राज्य शिक्षा केंद्र ने भी इसके लिए स्वीकृति दी थी। इसी तरह कस्तूरबा बालिका छात्रावासों में बायोमैट्रिक मशीनों व अन्य खरीदी व जिला शिक्षा केंद्र में अन्य कई भ्रष्टाचार के आरोप हैं। लेकिन मामले की जांच ही नहीं कराई गई। शिकायतों के आधार पर राज्य शिक्षा केंद्र ने कलेक्टर सीधी को कई पत्र लिखे गए, इसमें आज तक कोई कार्रवाई नही हुई।