
Lakhs of cattle in Singrauli, milk production only 80 thousand liter
सिंगरौली. पशुओं के इलाज को लेकर वैसे तो जिले में संचालित चिकित्सालय में एक्सरे से लेकर सोनोग्राफी मशीन तक उपलब्ध है, लेकिन चिकित्सीय व तकनीक स्टॉफ की कमी के चलते पशुपालक इलाज की इन सुविधाओं से वंचित हैं।
नतीजा एक ओर जहां तरह-तरह की बीमारियों में चपेट में आने से मवेशी दम तोड़ रहे हैं और लाखों की मशीने प्रयोग में नहीं आने के चलते कबाड़ हो रही हैं। पशुपालन विभाग में चिकित्सकों सहित अन्य स्टॉफ की कमी का अंदाजा महज वर्तमान में चल रहे टीकाकरण अभियान से लगाया जा सकता है।
विभाग की ओर से गाय, भैंस व बकरियों के शिशुओं को ब्रू-सिलोसिस का टीका लगाया जा रहा है। जनवरी की शुरुआत के साथ यह अभियान प्रारंभ किया गया है, लेकिन अभी तक महज 4 हजार बछिया व पडिय़ा सहित अन्य मवेशियों के शिशुओं को यह टीका लगा पाना संभव हुआ है। जबकि लक्ष्य 30 हजार से अधिक है। चिकित्सक सहित अन्य स्टॉफ की कमी के चलते टीकाकरण की रफ्तार सुस्त है।
इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे मवेशी
विभाग की ओर से की गई एक गणना के मुताबिक जिले में दुधारु पशु गाय, भैंस व बकरी को मिलकर कुल साढ़े 3 लाख से अधिक मवेशी हैं। इनमें भैंस वंशीय मवेशियों की संख्या करीब 80 हजार और गौ वंशीय मवेशियों की संख्या करीब दो लाख की है। बाकी संख्या बकरी की बताई गई है।
हाल के कुछ वर्षों के आंकड़ों के मुताबिक इलाज के अभाव में बड़ी संख्या में मवेशी दम तोड़ रहे हैं। प्रतिवर्ष इस संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है। अकेले 2021 में करीब 12 हजार मवेशियों ने उचित इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया है। मवेशियों के मौत की वजह पशुपालकों में जागरूकता का अभाव भी माना जा रहा है।
ऐसे समझिए स्टॉफ की कमी
पद स्वीकृत पदस्थ
चिकित्सक 20 12
असिस्टेंट 74 28
चतुर्थ श्रेणी 51 20
इलाज के लिए केंद्र
अस्पताल 15
डिस्पेंशरी 21
उपकेंद्र 11
Published on:
23 Jan 2022 11:09 pm
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